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Showing posts from February, 2021

अपेक्षा और सेवा , युगल तृषित

*अपेक्षा और सेवा* लोक में भी सहज सेवा बनें , बदले में कुछ चाहने की भावना ना हो तो दशा कोमल होती जाएगी । जबकि जगत में सब सँग रहकर पीड़ित रहते क्योंकि निष्काम सेवा बन नहीं पाती । सहज सेवक का परिवार बहुत बड़ा होता जाता है जैसे वसुंधैव कुटुम्बकम् । अथवा सहज सेवक को श्रीहरि प्रीति रूप सर्वस्व की सेवा प्राप्त हो जाती है और उनकी सेवा से उनके समस्त भुवनों की सहज सेवा बनी रहती है । श्रीवृन्दावन ।   प्रायः लोक में सब ही अपना सेवा रस देते देते स्थूल या पीड़ित होते जाते है क्योंकि बदले में कुछ कामना है , इच्छाएं है , लालसा है । जबकि सेवा होनी चाहिये यूँ जैसे किसी खग को दाना दिया और वह उड़ गया । फिर असहजता ना होती है और अगर वह पुनः लौटकर आया है तो और सेवा बनें क्योंकि उसे जब तक सम्पूर्ण तृप्ति ना होगी वह सहज उड़ेगा नहीं । ऐसे ही अपेक्षा शून्य प्राप्त परिमंडल की सेवा हो । प्रायः लोक में तन मन धन से दी सेवाओं के बदले कुछ मिलता भी नहीं है और यही सिद्धान्त है कि ना मिले बदलें में कुछ । जिसे बदले में कुछ भी मिल रहा हो वह बन्धन में है , और लोक में सेवा तत्व निवृति हेत ही है , वह बन्धन नहीं बनाती है अ...

वासन्ती सुहाग बिहाग । युगल तृषित ।

!! विपिन ममन्दम्  ... विपिन ममन्दम्  ... विपिन ममन्दम् !! *वासन्ती सुहाग बिहाग*           (Do Not Share) आज प्रथम प्रभात है । प्रथम अलसाईं वेला । आज प्रथम मिलन का उत्सव है और यह मिलन उत्सव झूमा है मिलन से । आज वह सुभग दुल्हिनी प्रथम पग धर रही ह ... नित ही केलि विलास के सघन शिशिरताओं में भीगती हुई भी ....आज प्रथम पग धर रही है , प्रियतम की ओर ... ... ...  मिलकर भी आज ही हुई प्रथम सुहागिनी बिहाग की पुहुपावली लेकर चलती दुल्हन जू वह अलियों की सघन भीर में होकर भी प्रियतम की मदन लालसा के परिणय कौतुकों सँग दुल्हिनी होती हुई और निजताओं में प्रवेश कर रही है । कुँज निकुँज के इस निभृत श्रृंगार से आई नवीन रँग रस की रसिली रूचियों के उत्सवों में प्रवेश कर रही है  और पग पग पर झूम रही है नवीन कुँजन कुँजन । शरद रस की शीतल निकुँज की मणि श्रृंगार - रत्नावलियाँ सहज फूलनियों के उत्सवों में भीग ऐसी रत्न - मणि होने को है कि जैसे बिहाग सँग पराग उड़ा रहे हो और यह कोमल पुहुप (पुष्प) रँगोत्सव की झूम हेतू गुलाल भर रहे हो निज रूप माधुरियों में । सरस पियनिधि की रसिकाई से झू...