सरित श्रवण , तृषित
*सरित श्रवण* भीग कर श्रवण कर पाना बहुत कठिन है और इससे सरल मधुताओं की ओर कोई माध्यम भी नहीं । श्रवण की महत्ता पर कहना बहुत ही कठिन प्रयास है । पथिक को लक्ष्य की ब्यार के झोंके मिलने लगे तो पथ उत्सवित हो उठता है । आपको केवल श्रवण पुट खोलने हैं और सहजता से सुनी हुई भावनाओं को हृदयंगम करते रहना है । श्रवण की महिमा किसी नर्तक आदि संगीत रसिकों से समझिये । श्रवण सहज झूमा सकता है । सुन्दरतम कोई मधुता का झँकन या रागाचारी या नादित श्रुतियाँ श्रवण वत पीने को मिल रही हो तो यह वरदान ही है । आम की लता को साधना करनी होती आम जैसी मधुता पुनः पुनः उसी वातावरण से एकत्र करने में जिसमें हम जैसे रसशून्य जीवन भी हैं । तदपि आम की मधुता को रसना का स्पर्श बनते ही मधुता की परिभाषाओं को एक अनुभव स्पर्श होता है । त्यों सरलतम है मात्र सुनना । भौतिक पथ के प्राणी के संकीर्ण चिंतन का धरातल ललित सँग माध्यम से ही उत्सवित हो सकता है सो श्रवण और प्रायः जीवन के भोग उपचार वर्द्धन सँग जीवन का स्वाद और उसकी गुणवत्ता सिमट ही रही है । सो वह सुनिये जो कृत्रिम सन्मोहन से चित्त को निकाल कर सहज ही मधुत...