निष्काम राजा को विरक्त होने में इतनी दुविधा नही होती जितनी कामनाओं से भरे किसी निर्धन को होती हो । किसी स्थिति में कोई दोष नही है । दोष है माँग में (कामना) । हमारे देश में ए...
किसी वस्तु से नही उसके दुरुपयोग से हानि है । और उसके सदुपयोग से निश्चित दिव्य हित सम्भव है । वस्तुओं की माँग ना होकर सदुपयोगिता की माँग उठे । दिवारात्रि वास्तविकता से अनभ...
इस कुँज भाव में सँग सँग होने पर भी हम सभी वास्तविकता में (कुँज सँग युगल लीला रूपी वास्त्विकता में ) सँग क्यों नही है ??? श्रीकिशोरी जू में अनन्त भाव सुधा है । अर्थात् अनन्त भावों...