Posts

Showing posts from January, 2021

ललित आत्म शोधन , तृषित

आत्मशोधन लालसा दुल्ह-दुल्हिनी से ना कर उनकी नित्य सेविकाओं से हो । उनसे ही सब रस और सब भाव सिद्ध हो रहे , वहीं दे रहे है परन्तु सेवा पथ पर सहज सेविकाओं को वेदना बनती जब कोई अपना पात्र रानी जू को धोने को दे दे । धोएगी वही ही कृपा दृष्टि से परन्तु आत्म शोधन के निवेदन उनकी नित्य अलियों को बनें फिर वह नित्य अलि को किसी नई सेवा श्रृंगार में देख अपनी सहज कृपा कोर से नई सेवा को नयनों में भर लेगी और उनकी दृग छाया ही सहज शोधन है ।  जैसे महल में कोई पात्र अपवित्र हो तो उसे सेविकाएँ शुद्ध करती । रानी जू को यह नहीं करना होता ।  त्यों अपनी शुद्धता की लालसा सहज सेविकाओं के सँग में हो । प्रेम पथ पर द्रवित गलित होने के शोधन बहुत सहज रस वर्षण है , जैसे कोई पवित्र होना चाहे और बरसात हो जावें तो वस्त्र-देह की चिंता से बरसी कृपा में भीगते न बनेगा । और जो दशा अचानक बरसी वर्षा में सहज भीग गई हो वह तो सहज ही गीली हो चुकी ही है । यूँ ही प्रेम पथ का गलन बनेगा शीतलताओं तरलताओं को झेल कर । रस को झेलते झेलते दशा इतनी कोमल होगी  कि अपनी ही दशा की कोमलता का चिंतन भी कठोर लगेगा । जिसे वह नित नवीन कोमल ...

ललित कैंकर्य , तृषित

*ललित कैंकर्य*  झरित सुमन कृपा वल्लरी सँग प्रफुल्ल होकर सहज है , सेवा मञ्जरियाँ ही नव-नव केशर कणिका सहज है ... त्यों सहज कैंकर्य लालसा की सिद्धि में सहज ललित रस है । इह लोक में तो केशर भी शुष्क मञ्जरी है परन्तु सरस् निकुँज रस में लवङ्ग भी ललित उत्सवित पुहुप है । प्रिया प्रियतम से सभी पुष्पों को नवीन सुरभ और स्वभाव - स्वरूप मिला है तो सभी पुष्पों के सार सौंदर्य वह स्वयं है और उनकी हाव भाव की नवीनताओं में उनकी उस नवीन हाव भाव के उत्स से प्रकट सेवा किंकरी शुष्क नहीं है , वह रस रँग में सहज भीगी है । किसी शीतल रस की सेविका के लिये वही शीतलता की केंद्र माधुरी है सो जो भी सेवा अभिसारित हुई है उसका ललित स्वरूप सहज पियप्यारी में नित्य उत्सवित है , यह किंकरियाँ तो उन अनन्त उत्सवों की छबियाँ है । और वह सभी उत्सव नित्य नव होने को आतुर अर्थात् ललित है । श्रीनिकुँज रस की तृषा भी जब पूर्ण उन्हीं की सुरभता में स्निग्ध हो उभय हो पड़ती है तो वह लालसा या व्याकुलता भी ललित हो कर प्रफुल्ल उत्स में ध्वनित हो रही होती है । यह ललिता या प्रफुल्लता का रँग सँग माँग से नहीं अपितु कृपा से भीगकर वपु हुआ हुआ है क...