झुमहिं री ! सरस ललित कौंस छायौ , trishit
Do not Share *झुमहिं री ! सरस ललित कौंस छायौ* *आजहूँ मधुरा जू माधव मधुर , मधु राग हिंडोलै ख्याल षट ऋतु विलास फूलै नव-नव रँग बरसायौ* *भरि भरि कृष्ण लास रस गौर मदन कम्प कौ मदिर शीतल मोहै उत्सव मद सरसै आयौ* *रस रङ्ग सङ्ग अलिन हित अरुण कपोल मधुपँक दृगनि सुख इत-उत झुमायौ* *मंग मोतिनु हार नीलाम्बुर हँसि हँसि करिनु अंगुरिन पेंच झरिण राग खुबहिं लड़ायौ* *हुलसै अलिन कलित शरद तुरङ्ग धमार पै जाड्यौ द्वार उघारै नवब्यार सँग श्रृंगार कौंस गायौ* *स्यामल-ललकी वेणी कबरी गुँथित केशनि कुसुमनि नीलारुन पीत कटिनि बाँध कलहँसनि सिहरायौ* *सरद लजाई चंद्र लजाह्यौ लाजहिं नछत्र तारिका सुतन सुरभ खण्डनि खण्ड लास रिसाह्यौ* *प्रेम केलि कौ निज सरूप मदन बन्यौ घनसार कौ मदिर प्यार गर्जन रजत-गुलाल ढुरकायौ* *सनन सन सन सरित तथई तत्थई थकहिं चरकै झरकै झण झँकै बहु नर्तन थिरकायौ* *नव केलि विलास तैई नवल सिहरन कैई नवनीत झारिन मैई मधुर कन्द परस शिशिरायौ* *उर अंतर थिर थिर कम्पै मधुपँक पँक पँकै रङ्गीलो तुंदिका लोभिनि लोभ कूप हेत लुभायौ* *पुलकै हुलकै सुख सरसावली अलिन परख निरख निज अनुराग झाँझ मुदित बहु मोद ल...