*जड़ता का भँग होना* श्रद्धा जड़ता भँग कर नित्यता का दर्शन करना चाहती है । श्रद्धा हीन होने से ही नित्यता का स्पर्श छुटा रहता है । स्थायी श्रद्धा से स्थायी नित्यता को अनुभव किय...
किसकी मोहब्बत सारा जहाँ मोहब्बत की अल ए ग़ज़ल पिला रहा और है जिसे मोहब्बत वो इब्तिसाम पर अटक सुन रहा मुहब्बत हो मुझे , इतना भी ख़्वाब-ए- आशियाँ ज़रूरत नहीँ हैं उन्हें मुहब्बत बेइ...
परतन्त्रता-कारावास प्रीति की कुछ अनिवार्य विवशता भरी स्थितियाँ है और वहीं स्थितियाँ भोग विलास जगत से सर्वथा विपरीत है । जैसे परतंत्रता यहाँ सँजीवनि है , यह परतंत्रता यह...
*उथली आवाज़ें* भाव भक्ति के पथ की नवीन सुगन्ध से जब जीवन अद्वितीय अनुभूतियों में डूबने लगा ... बाह्य विस्मरण और आंतरिक सरस् राज्य के उस नव सरस् सम्बन्ध काल मे एक ही भाँति की व्यथ...