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Showing posts from October, 2015

मलूकदास जी महाराज जी वाणी

मलूकदास जी की कुछ वाणी ना वह रीझै जप तप कीन्हे, ना आतमका जारे। ना वह रीझै धोती टाँगे, ना कायाके पखाँरे॥ दाया करै धरम मन राखै, घरमें रहे उदासी। अपना-सा दुख सबका जानै, ताहि मिलै अ...

संतश्री मलूक दास जी ।

    संत मलूक जी कहते हैं कि                       ----------------- ------------                भेष फकीरी जे करै, मन नहिं आये हाथ।              दिल फकीरी जे हो रहे, साहेब तिनके साथ।             ‘‘साधुओं ...

मलूकदास जी महाराज जी वाणी

मलूकदास जी की कुछ वाणी ना वह रीझै जप तप कीन्हे, ना आतमका जारे। ना वह रीझै धोती टाँगे, ना कायाके पखाँरे॥ दाया करै धरम मन राखै, घरमें रहे उदासी। अपना-सा दुख सबका जानै, ताहि मिलै अ...

यादें और मकां

मकां ... अब क्यों उस मकां की यादें नहीं आती ! जहाँ ज़िन्दगी एक क़िताब बनी ! बहुत कुछ दिया उस मकां ने पर जब लिया सदा ख़ुद कर्ज़दार हो गया ! बचपन की सलवटें कब की सिसकियों में दफ़न हो ग...

खण्डहर

खण्डहरों में क्यों भाग कर छिप जाने का दिल करता था भरे पूरे घर से बेहतर क्यों खण्डहरों के जाले हटा कर झांकने की तलब ... कुछ तो ख़ास होता है उन बिखरी दीवारों में एक एहसास हवेली से ...

एक बस्ती सोची थी

गांवों में मेरा मन्दिर रहा कस्बों से मेरी यारी रही और ज़िन्दग़ी शहरों के तलवे चाटती रही !!! एक बस्ती सोची थी जिसकी रूह गांवों के खेत की सुबह से चुराई हो एक बस्ती जिसका ज़ुनून ...

सत्यजीत तृषित

कौन है सत्यजीत तृषित ? अब तक सवाल है कुछ पुछ लेते है कुछ नहीं ! किसी को बताया नही कुछ क्योंकि एक तो बताने सा कुछ नहीं , दूसरा बताना सीमित करता है | कौन हो  ?  क्या करते हो ? आदि सवाल बहु...