सत्यजीत तृषित

कौन है सत्यजीत तृषित ?
अब तक सवाल है कुछ पुछ लेते है कुछ नहीं ! किसी को बताया नही कुछ क्योंकि एक तो बताने सा कुछ नहीं , दूसरा बताना सीमित करता है | कौन हो  ?  क्या करते हो ? आदि सवाल बहुत बार हुये ! पर फर्क़ क्या पडता है | जुलाहा - फक़ीर आदि आदि प्रभु के रंग में रंगे ! जो भी करता था वो सब छुटता ही गया ... वैसे भी सब उनसे ही है | सबको कहने पर भगवत् चर्चा की जगह भौतिक परेशानियाँ और उपाय ही रह जाते ! सब समस्याओं का एक अटल हल है भजन ! भगवत्चर्चा !
फिर भी व्यवहारिक जगत् में समस्या होती ही है | डुबता इंसान कभी सही हाथ पैर नहीं मार पाता | जो करना है डुबने से पहले |
तन की बात करें तो जयपुर से हूँ ... मैंने कई बार कुछ लोगों को परेशानी के हल के रूप में केवल भजन करने को कहा वें हल्का लेकर और पुछते रहे ! फिर उपाय करा ही लिये तंत्रोक्त ! तब लगा उपाय भी जरुरी है ... श्रद्धा हीन भजन काम ना करेगा ... जिस विधि में श्रद्धा जगे वहीं कारगर होगी , विश्वास चाहिये |
बहुत समय तक संकल्प सिद्धी हेतु , वांछित कार्य की सफलता हेतु प्रयोग किये ! वहाँ भी भीतर तो ईश्वरिय कृपा ही काम करती है | भले लगे कि कोई देह आपकी बाधा निवृति कर सकती है तो गलत है ! कर्म के सुत्र से कैसे किसी के द्वारा संचित् कर्म किसी अन्य के विपरित कर्मों का शमण करता है यें रोचक है | पर यहाँ बैंकिंग सिस्टम सा ही है | पात्र वहीं पूरित होगा जहाँ पहले ही जल पूर्ण हो !
मिलने की बात ... मिलने की योग्यता नहीं ! दूसरा मिलने के बाद सारा रस सरल हो जायेगा ... नशा गुप्त पदार्थ में ही भला है | फिर भी मिलकर भाव न बदले तो सुंदर बात है | एक बार एक सर ने बहुत कहा गुरु जी चित्र देखना है आपका बहुत कहा ... जैसे ही दिखाया ... वें ब्रॉ.. bro. कहने लगे | एक पल में भाव गया पहली बात गुरुजी छोटा शब्द नहीं कि बिना सोचें समझे कहीं भी निरुपित कर दें ... दूसरा भीतर संदेह है तो प्रभु भी कहे तो रस ना मिलेगा | गुरु जी से ब्रॉ कहने वाले सर को इतना ही कहा कि अब आपको कभी वो रस नहीं मिलेगा | क्योंकि अब सब सहज हो गया आपके लिये ...
"तृषित" का अर्थ प्यासा है ! यहाँ  सांसारिक प्यास नहीं ! भगवत्प्रेमरस की प्यास ! लालसा ! उत्कंठा ! टीस ! नाद ! ललक ! वेदना ...
यें सदा हरि के लिये हरी रहे कभी प्यास तृप्त न हो ! क्योंकि अनन्यता चाहिये ! आज रो कर कल चैन से रहने कुछ न होगा ... नित्य प्रति क्षण कुछ ऐसा जो आपको प्रभु से जोडे रखे !

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