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Showing posts from June, 2016

वृंदावन एक सरोज है

राधा विहार विपिन श्रीमद् वृन्दावनधाम पूर्ण अनुराग रस सार समुद्भुत एक सरोज है । उस सरोज में जो पीले-पीले केसर है , वें किशोरी जू की सखियाँ है । उन केसरों पर जो पराग है , वह श्री ...

वास्तविक मौन , तृषित

अगर मनुष्य के जीवन में वास्तविक मौन घट गया तो हम यह भी कह सकते है , भगवत्साक्षात्कार घट गया । मनुष्य को विचारों से गहन मोह है , वह सूक्ष्म रूप से विचार हीन नही हो सकता । अन्तः कर...

छोटी मछली , बड़ी मछली होना चाहती है

एक बात विचार की थी , कि अन्याय और अपराध का विरोध क्यों नही होता , अन्याय का साथ और सहयोग क्यों ? छोटे लोग क्यों शोषण सहते है , आवाज़ क्यों नही उठाते , अथवा कुछ करते क्यों नही ? अन्याय ...

तुम ही पकड़े रहो भीतर से हृदय तार हमारे

खोया मेरा जब भी कुछ ना मिला फिर दोबारा फिर खोजूं तुम्हें मुमकिन ही नहीँ तुम ही पकडे रहो भीतर से हृदय तार हमारे ।।।

ख़ुशबूं , तृषित

आप की खुशबुएँ क्यों इस तरफ इतनी आती है हमने तो सोचा न था माटी भी चाँदनी खेंच लाती है वो कौनसा लम्हां था जो धुंधला ख़्वाब सा छा गया मुझमेँ तारों की ओढ़नी संग रात क्या याद दिलाने आ...