राधा विहार विपिन श्रीमद् वृन्दावनधाम पूर्ण अनुराग रस सार समुद्भुत एक सरोज है । उस सरोज में जो पीले-पीले केसर है , वें किशोरी जू की सखियाँ है । उन केसरों पर जो पराग है , वह श्री ...
अगर मनुष्य के जीवन में वास्तविक मौन घट गया तो हम यह भी कह सकते है , भगवत्साक्षात्कार घट गया । मनुष्य को विचारों से गहन मोह है , वह सूक्ष्म रूप से विचार हीन नही हो सकता । अन्तः कर...
एक बात विचार की थी , कि अन्याय और अपराध का विरोध क्यों नही होता , अन्याय का साथ और सहयोग क्यों ? छोटे लोग क्यों शोषण सहते है , आवाज़ क्यों नही उठाते , अथवा कुछ करते क्यों नही ? अन्याय ...
आप की खुशबुएँ क्यों इस तरफ इतनी आती है हमने तो सोचा न था माटी भी चाँदनी खेंच लाती है वो कौनसा लम्हां था जो धुंधला ख़्वाब सा छा गया मुझमेँ तारों की ओढ़नी संग रात क्या याद दिलाने आ...