छोटी मछली , बड़ी मछली होना चाहती है

एक बात विचार की थी , कि अन्याय और अपराध का विरोध क्यों नही होता , अन्याय का साथ और सहयोग क्यों ?
छोटे लोग क्यों शोषण सहते है , आवाज़ क्यों नही उठाते , अथवा कुछ करते क्यों नही ?
अन्याय करने वाला अजीब नही , अन्याय के खिलाफ बोलने वाला अजीब क्यों लगता है ?

उत्तर मिला --
बड़ी मछली छोटी मछली को खाती है , छोटी मछलियाँ अधिक है , पर हर छोटी मछली बड़ी होना चाहती ।
सो वह खिलाफत नही कर सकती ।
गजब लोग अपने प्रति हुए शोषण से भी सीखते है , सहन करना नहीं बल्कि यह कि मुझे कैसे - कैसे शोषण करना है । किसी के अधिकारों का दमन करना है ।

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