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Showing posts from October, 2017

झरण झरण रसिकन की झरण , तृषित

झरण झरण रसिकन की झरण । खरी-झरि , झरि-खरी दोउन की रसिली प्रीत बहि । बहि-रही , रही-बहि , प्यासी पियसुख निरत ढहि ।

श्री युगल नामावली , हरिदासी

अथ श्री युगल नामावली ~~~~~~~~~~~~~ जामिनी जाम जबै रहै , सोवत ते तबे जाग । जुगल नाम माधुर्य के , उठि भाखे बडिभाग ।। 1।। स्यामा कुंजबिहारिणी , कुञ्ज बिहारी स्याम । पति मन हरनी माननी , सुंदर म...

श्री हरिदास सरन जे आये , तृषित

श्री हरिदास सरन जे आये । कुंजबिहारी ललित लाडिले अपने जानि निकट बैठाये । रसिक आश्रय , से रस उज्ज्वल होता जाता है । श्यामाश्याम रस , यह वृन्दावन रस , युगल प्रेम और ब्रज कुँजन की र...

श्री हरिदास सरन जे आये , तृषित

श्री हरिदास सरन जे आये । कुंजबिहारी ललित लाडिले अपने जानि निकट बैठाये । रसिक आश्रय , से रस उज्ज्वल होता जाता है । श्यामाश्याम रस , यह वृन्दावन रस , युगल प्रेम और ब्रज कुँजन की ...

गौ , तृषित

*गौ* के जितने भी अर्थ है सभी आज पुकार रहें है सुरक्षा । हम वसुधा की सेवा नहीं कर सकते परन्तु गौ सेवा सम्पूर्ण पृथ्वी की सेवा है । गौ और भूदेवी में भेद नही है ... शास्त्र सिद्ध रहस्...

डॉक पीडीएफ । ड्राइव लिंक

Yugal TRISHIT: https://drive.google.com/folderview?id=0B--4EthGiemYSUR3NURtTEl3bEE Yugal TRISHIT: https://drive.google.com/folderview?id=0B--4EthGiemYQjJhMFlTM2daOWM Yugal TRISHIT: https://drive.google.com/folderview?id=0B--4EthGiemYaVlqNXhtdElyRm8 Yugal TRISHIT: https://drive.google.com/folderview?id=0B--4EthGiemYOW5JOUh3ZTFuUVU Yugal TRISHIT: https://drive.google.com/folderview?id=0B--4EthGiemYVDViWjZEUE5mNXM Yugal TRISHIT: https://drive.google.com/folderview?id=0B--4EthGiemYVklxd09wanhlV2s

Ishq ke saat mukaam इश्क के 7 मुक़ाम

Ishq ke saat mukaam hote hain 1. Dilkashi (चाहत) 2. Unss (स्पंदन) 3. Mohabbat (अनुराग) 4. Aqeedat (श्रद्धा) 5. Ibaadat (उपासना) 6. Junoon (पागलपन) –Aur abb hum aakhiri pe hai ?– 7. Maut… निगाहें ठहरी जो मीठी मीठी होने लगी उनसे दिलकशी चाहतें दिल अटकी जो हुई यही बस एक असरे दिलकशी दिलोदि...

एहसास

आशिक़ी कबूले फ़ितूरियत हैरते ज़मी आसमां चश्मे अश्क़ भीगता दिल सरकते एहसास समां समां

केलि झारियाँ trishit

रंगीले प्राण - हे सखी , कैसी गौरांग छटा मुझमें भर गई है ? कब-कहाँ-कैसे मुझे इतने आभूषणों में सजाकर नवदुल्हिनी स्वरूप दान किया ?? कैसे मुझमें इन सौंदर्य श्रृंगार सौरभताओं सँग लज...

भाव राज्य , तृषित

भाव राज्य भाव राज्य प्रेम राज्य रस राज्य आहा......। सब एक ही ... भाव -प्रेम - रस का अभिन्न जीवन , जीवन भी जीवन का ... मृत्यु का नहीं  ॥ मूल में भाव की ही सत्ता है  सर्वत्र पर भावशून्यता में ह...