तृषित भावरात्रियाँ , विज्ञापन ।
Pure Night Devotion *भावरात्रियाँ (तमस तुझे चन्द्रिका पुकारती)*
श्रीहरिदास श्रीहरिदास श्रीहरिदास श्रीहरिदास श्रीहरिदास श्रीहरिदास
यू ट्यूब पर सभी युगल तृषित भाव नही दिये जा सकते ।
कुछ मुख्य भाव जो उपलब्ध है ...
श्रीकृष्णकर्णामृतं सम्पूर्ण जी
श्रीमद्भागवतं भाव रस सम्पूर्ण (बिना संगीत) जी
श्रीमानस भावरसिली जी
श्रीविलापकुसुमांजली जी **
श्रीवृन्दावनमहिमामृतं जी **
श्रीराधारससुधानिधि जी **
श्रीचैतन्य-चरितामृतं जी
श्रीहित चतुरासी जी **
श्रीरसिकभाववाणियाँ जी **
श्रीललितलीला लहरियाँ जी **
श्रीकेलिकुँज जी सम्पूर्ण (श्रीराधाबाबा जु) **
श्रीब्रह्मवेवर्त पुराण जी गोलोक-युगल भाव चिंतन
श्रीभक्तमाल जी चरितांक 1 -10
श्रीकेलिमाल जु (सिद्धान्त)
श्रीकेलिमाल जु (उज्ज्वल-रस) **
श्रीउज्जवलनिलमणि जु भावांश **
श्रीशिक्षाष्टकं जु सम्पूर्ण वैष्णव भाव
ब्रज के भक्त सम्पूर्ण (Oblकर्पूर जी)
बयालीस लीला जु भावांश **
मधुराष्टक भाव मे प्रकट सर्व मधुता का पृथक-पृथक भाव अनुगमन ... यथा वेणु माधुरी , रेणु माधुरी आदि ...
#तत्व चिंतन
१ पशुता से मनुष्यता को भावसिद्ध पथ की ओर ...
२ भक्तितत्व
३ श्रीमद्भवतगीता भावामृतं
४ महाभाव रहस्य क्रमांक अन्तर्गत
५ प्रीति तत्व
६ सेवा तत्व
७ भगवतनाम रहस्य और नामामृत तत्व
और भी रसिक भाव आश्रय ...
( ** माधुर्य भाव केवल माधुर्य पिपासुओं मात्र, पिपासा अनुभूत होने पर, जिन्हें केवल इयरफोन(हेडफोन) से सुना जा सकता है , उज्ज्वल रस निर्मलतम है ... साधक बिना समझे मतिगत भृम से निवृत्त नहीं होते अतः अस्पर्शयता होती है यह अस्पर्शयता अविद्या और काम के प्रभाव से है , यहाँ निज काम को उज्ज्वल रस में काल्पनिक चिंतन किया जाता है ... सर्व हेतु माधुर्य अथवा उज्ज्वल रस है नहीं क्योंकि इसके हेतु पिपासा परम् आवश्यक है , पिपासु हुए बिना निज विकार भस्म नहीं होते ... श्रीयुगल का नित माधुर्य ललित गुणानुवाद है उज्ज्वल रस )
रसिक - सन्तों ने इतना अमृत दिया है हमें कि श्रीसुधानिधि युगल स्वयं ऐसे अमृत के रसास्वदनार्थ लोभी है । वर्तमान में नई धाराओं की नहीं प्राच्य रस धाराओं में गोता लगाने भर की आवश्यकता है , श्रीमानस आदि घर के मंदिर में पूजने से भी सात्विकता प्रकाश करती आई है मानस को मानस से एकाकीकार कर लिया जावें तब अनुभूत होता , यह वाणियाँ सिद्ध भाव जीवन है । --- तृषित
सभी भाव शीघ्र पेनड्राइव और मेमोरिकार्ड पर उपलब्ध होंगे । जो भी भाव चाहिये सम्पर्क सूत्र पर बताएं ...
जिन भाव को चाहा जाएगा वह प्रथम उपलब्ध होंगे ।
हम वर्तमान पाखण्ड से पीड़ित
अदृश्य - अप्रकट - अभाव की शक्ति से सिद्ध यह भाव गोते है । Whatsapp 09829616230 ।
*तृषित* जयजयश्रीश्यामाश्याम जी
भावाकाश में प्रगट शब्द, शब्दाकाश सभी कुछ लय की निरंतरता हो रही है
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