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Showing posts from May, 2019

प्रश्न - सखी को विरह होता है ??? तृषित

प्रश्न - सखी को विरह होता है ??? तृषित - किसी भी प्रकार का आनन्द सेवार्थ बाधा में नही होता । कोई भी अपनी पृथक प्राप्ति की स्थिति सखी नही है । हर स्थिति युगलार्थ है । स्वार्थ हेतु स...

धरा और सौंदर्य तृषित

यही धरा अमृत के सरोवर प्रकट रख सकती है । यहाँ स्वर्ण वर्षा हो सकती है । फल-फूल  रस पूर्ण झर सकते है । सुरक्षा हेतु शस्त्र केवल गुरूवाणी हो सकती है । जितना भी द्वन्द प्रकट है मि...

श्रद्धालु और साधक , तृषित

श्रद्धालु अपनी श्रद्धा से स्वतंत्र नही हो सकते । और श्रद्धाहीन श्रद्धा रख नहीं पाते । श्रद्धालु स्वयं तो सर्वत्र श्रद्धा रखना चाहते है और सबसे मिली हुई श्रद्धा से भी अपन...

तृषा-अनादर .. तृषित

*तृषा-अनादर* कोई नौकरी प्राप्त कर ही मनुष्य चुप नही होता है , वह तब भी छटपटाता है ...बेहतर वेतन के लिये । और वेतन वृद्धि के सभी उपाय करता है । क्या नौकरी मिलने पर प्राप्त वेतन ही को...

पौढाई (सुखसेज) ...trishit

*पौढाई (सुखसेज)* जीव विश्राम तलाश रहा है... सीमित जीवनकाल में भी एक बडा हिस्सा निद्रा का है क्योंकि चेतना विश्राम खोज रही है अपनी सुक्षुप्ति तलाश रही है । मूल भोगों में चेतना का ...

कुँज सहजता , तृषित

* कुँज सहजता * श्रीवृन्दावन । प्राप्त सहज परिवेश को अति-आधुनिकता में बह कर नष्ट न करें तो कुँज सहज ही अनुभव है । आज कुँज के श्रृंगार के विषयों में अनभिज्ञता है क्योंकि कुँज ही ...