तेरी बेरुखी और तेरी मेहरबानी यही मौत है और यहीं ज़िन्दगानी कामधेनु रो एक ही दु:ख बृज री होती नन्दनंदन दरस पाय रही होती लाली दुहन रही होती ... काहे कामधेेनु रो सुख सुख बृज गईया...
:श्री प्रियाजु सरकार की जय जय !! प्रेममुलक त्याग की बात हम कुछ विस्तार से करेंगें ! शायद ऑडियो ही ... अभी इस भाव को तन्मयता से लें ... *** *** *** *** गोपी - स...
लगन को नाम न लीजै ! लगन को मारग अति कठिन है पांव धरे तन छीजै ! जो तुम लगन लगायो ही चाहौ स्वाँस की आस न कीजै ! कुम्भनदास गिरिधर को वारि फेरि तन दीजै ! पद का मनन करें ! रसिक संत ने गहरी ब...
प्रेम सुगंधी अनुपम निराली सखियों रस पिबत पिबत सदा रहत प्यासी सखियों रूप सलोने पर वारी वारी जाये हम सखियों प्रेम अन्त: मिलन दर्शन कबहूं पावे सखियों नित होवत मगन दोउ दोउन म...
[2:20pm, 09/07/2015] सत्यजीत तृषित: ॥जय गौर हरि ॥ मीरा चरित (47) क्रमशः से आगे ................... मीरा का अधिकांश समय भावावेश में ही बीतने लगा ।विरहावेश में उसे स्वयं का ज्ञान ही न रहता ।ग्रंथों के पृष्ठ -पृ...