तृषित वार्ता भाव रस की
तेरी बेरुखी और तेरी मेहरबानी
यही मौत है और यहीं ज़िन्दगानी
कामधेनु रो एक ही दु:ख
बृज री होती नन्दनंदन दरस पाय रही होती
लाली दुहन रही होती ...
काहे कामधेेनु रो सुख
सुख बृज गईयाँ पाय रही
नंदनंदन संग भावे मोहे भानु लली
मुसुकाय कलि सु शरमाय रही लली
छुवत किशोर अंग किशोरी खिलत रही
पलक अलक मिलाय हल्की अधरन खुल रही
ललीते तोरी लली ना छिपा मोसे
पनियाडी अनोखो ताम्बुल लायो
खाय रह ना पावे रस रसिली
ललिते निरख मोहे रूप धर गिरधर आयो है
***
जिया ले चले पिया
तनिक और रुकते पिया
नैनन तोरे दरस प्यासे ही रहे
निकट होत जब हुं अंग-अंग शरमाय
अंखियन बेरी पलकन में छिपि जाय
कर कुम्हलाय अंग सु लिपट जाये
पूरी न भई पिया
रूक ही जाओ
पुनि पुनि हिय सु लिपटाओ
प्रेमाग्नि तीव्र होत
तनिक विरह रो घृत ना मिलाव
हाय मरी जाऊं
काहे बिसरावे पिया
महक तोरी मोरी
सांसन सु अटकी
तोरे परस बिन वन-वन भटकी
हाय रे पिया ...
युं चंद बन ना देखो
हिय की रकम हो
हिय में लौटो
सरसरी मची तनिक तो रोको
हलचल भीतर रही
समाय कर देख लो
भागे जात हो
काहे सतात हो
प्राण निकलत है
तोरा सब छोड जात हो
आओ पिया आओ
मोहे बिसराओ ...
अपने प्राणन की अमानत
तो लेय जाओ
****
रसराज की बातन मोसे ना किजो
वो काहे रुठ जाने मोरा हठ ना देखो
****
रब जाने जो सब जाने
सब जाने वो रब ना जाने
रब रब कहे सब सब जाने
प्रेमी चित् अपनो वाने ही माने
****
ख़ुदाई मोहे काय दिखावे
तनिक हिय सु लिपटावे
****
मोरे पिया प्रिया संग नित नित खेलो
तरस रही अँखियन एक हूं होय दरस भी दे दो
****
झरोखा पर्दा ना लगाना प्रिया
निवृत रंग दरस कराना प्रिया
चुपके सु देखुगी
किसी से ना कहूंगी
पगली बन रह लूंगी
अंखियन फिर खोलुंगी
समाई वहीं फिर रहूंगी ...
झरोखा ...
***
काहे जात हो
निन्दिया बिसार दो
युगल पर जीवन वार दो
तनिक ठहरो बरसाने को रस चाख लो
****
पद चाप होले होले करत आवे
होले होले दोउ छिप-छिप आवे
मैं पूछी वां सुं सखियन
जग तोहरा भयो
काहे लुक छिप प्रेम गीत नाचो
जानत मो से का बोले प्रिया जु
***
बात बात पर जो तुम कह लेते हो
जय जय ...
यें आखर मोहे कंठ को रोके
सच कहूं सखी बाहर निकलत
घाव को खुरचे ...
फंस गये लागे भीतर ही
सादे सादे लगते
पर है निराले से
ना ना पाऊं सखी ...
मै तो चाकर हूं दोउन की
रूप मंजरी कही है
प्रिया संग डोल री
प्रिया पिया है नटखट
वा सु नजर काहे मिलाऊं
श्री पुकारे ... तृषित ... तृषित
कहूं ... चुनरी उडी है रानी जु
आरही लेकर ... आप यहीं रहो जु
तब छिप जाती हूं
सामने ना आती हूं
प्रिया बुलाये तो
सांसन सु मरी जात हूं
नाम सस्तो लागे है
समीप तो अंग भंग होय भागे है
हाय सखी तेरो मानस प्रिया देत है
रूप मंजरी मोहे याँ कह देत है
अंग ना पाना संग ना पाना
दोउ बोले कृष्ण दरस सुख ही पाना
प्रिया की अमानत है ...
तनिक भाव भुल जाना
प्रिया जान वारेगी
खुद तोहे संग पाय मुसुकावेगी
तेरी ना बिसात तृषित
का कृष्ण पे तू वारेगी
प्रिया की प्रेमधन पर अंग सुख चाहेगी ...
***
हाय मरी जाऊ !!
एक तो रूप ऐसो धरो है
महक हु से प्राण खेंच लेत है
एक ओर प्रिया प्रेमछब रहत है
रोय ना दे सांसन थिर थिर कहत है
युगल संग सहज नाही सखी
तेरो देस सरल है
दुई धार की तरवाल ही भई
**
जाओ जाओ सबही जाओ
मोरी पद सेवा आस है ...
बरसाने वाली की छाया को साथ है
युगल को नित हृदय में वास है
सच कहूं पिया जी
एक आप की आस
और ना हो कोई आसपास
बस हिय में रहे आपको वास
वारी जाऊं वारी जाऊं
तन मन सब लुटाऊं
आस पर खास भुलाऊं ...
संग रखोगे ना नाथ
देखो किशोरी को मोही आदत लगी
मेंहदी नित नित ही सजी है
आप खेलते हो उनके बहाने से
कहीं भेज देते हो
जग के बहाने से
भले प्राण छुट जावे
भले दासी लुट जावे
एक असुवन धन बिखर ना जावे
और जावे तो जावे अंग भंग होई जावे
दारी अँखियन फुटि जावे
पिया ना आवे सखी मोहे
गरम लोहछड सु या अंखियन तू
काग ने खिलाय आवे
***
मै तो मर जाऊगी पिया
हाय सच मर जांऊगी पिया
प्रिया संग आ जईयो
पापिन एक अपनाय लईयो
नाम अपनो बचाय रहियो
एक हु बार लली पद पर रुलाय दियो
एक हु बार ललन पद वृंदा चढवाय दईयो
***
मन तो करत है गिरधर लपेट सोऊं
मन तो करत है सांवरे को बहियन सु ना खोलु
मन का करत है भुल जईयो
प्रिया जु को प्रेम है
प्रिया नित-नित संग रहियो
मोरी लख-लख वारी वारी लियो
लाला ... ओ लाला !! प्रिया संग नित पल रहियो ...
युगन की ना सुनियो
सदियन की मानियो
मोरे लाला प्रिया हिय सु हिय नित रहियो
*****
सुकोमल सुविरल सुमधुर मेरे युगल सरकार
सुनिर्मल सुमाधुरी सुरस रसिका रसराज
युगल सरकार ... युगल सरकार
मेरे युगल सरकार ..
प्राणों में रह रहे युगल सरकार !
युगल सरकार ! युगल सरकार
श्री किशोरी आधार युगल सरकार !!!
****
युगल सरकार नित युगल रहे
इनका प्रेम आलिंगन रहे !
ऐसे ही दरस मिलें
***
ज़माना दो कर के देखता है
मेरे सरकार को दिक्कत होती है
धन्य हो रसिक वर युगल के भीतर की सुन मिलाय दिये ..
बिहारी जु ... वल्लभ जु दरस कराय दिये
Comments
Post a Comment