लगन

लगन  को नाम न लीजै !

लगन को मारग अति कठिन है पांव धरे तन छीजै !

जो तुम लगन लगायो ही चाहौ स्वाँस की आस न कीजै !

कुम्भनदास गिरिधर को वारि फेरि तन दीजै !

पद का मनन करें ! रसिक संत ने गहरी बात की है !!

Comments

Popular posts from this blog

Ishq ke saat mukaam इश्क के 7 मुक़ाम

श्रित कमला कुच मण्डल ऐ , तृषित

श्री राधा परिचय