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Showing posts from June, 2017

छल किसका ?? तृषित

काहे तुम छलिया । ना , ना हो तुम कोई छलिया । तुम क्या छल सकोगें । अरे प्रेम के अतिरिक्त तुम्हारा कोई विषय-आश्रय ही नहीँ । छल तो मुझसे सीखो मेरे प्राणसिंधु रसमणि । बहुत सुना हमने ,...

काहे कहत सखी कारो री वाने , तृषित

काहे कहत सखी कारो री वाने पिय मोरे , पिय मोरे ,सलोने लागे मोर मुकुट नीको अधरन मुरली राजत काहे न सखी तू जावे , नित बंशी बाजत सुन्दर सलोनो बदन कोमल अति प्यारो नैंनन की झारी सुं नि...

भई गाढ़ कृपा निज प्रेमी जन पे , तृषित

भई गाढ़ कृपा निज प्रेमी जन पे जस-अपजस  सब  विधि  हित  न होत ,जो   विषय-भोग  सब  विष्टा जान्यो  गेह - देह  धरम  सब  छाड़त , दास हरिदास  दास  साँचो  नेत  मान्यो वमन  होत  लोक रंजन  मा...

फेसबुक और आध्यत्मिक लाभ - 1

फेसबुक और आध्यत्मिक लाभ - 1 फेसबुक पर व्यक्ति की प्रोफाइल है , कोई मित्र फेसबुक पर अनब्लॉक करें और जीवन में नहीँ तो भी पीड़ा होती है । क्यों ? जीवन में बहुत कम या न मिलने वाले बहुत ...

संसार क्या चाहता है ?

संसार क्या चाहता है ?? भगवत कथाभाव रस अब एक ट्रेंड हो गया है । संसार चाहता है हमारा त्याग सच्चा हो पर भौतिक विकास भी भरपूर हो । पिछले समय एक कथा की बात के लिए मुझे बाहर जाना पड़ा , य...

वास्तविक मौन , तृषित

अगर मनुष्य के जीवन में वास्तविक मौन घट गया तो हम यह भी कह सकते है , भगवत्साक्षात्कार घट गया । मनुष्य को विचारों से गहन मोह है , वह सूक्ष्म रूप से विचार हीन नही हो सकता । अन्तः कर...

वृन्दावन वास

*श्रीवृन्दावन वास* श्रीगौरश्यामात्मक अति मधुर विग्रह श्रीराधा-कृष्ण के परम अनुपम प्रणय के परम पात्रस्वरूप में चित्रित एवं निर्मल काम-बीजात्मक चित्-ज्योति के समुद्र मे...