शरद और रस पान लोलुप्ति का रस दान लीला-विलास वृति शरद । तृषित
रसिक आचार्यों का शरद विलास युगल के विलसित युगल नयनों में नृत्य श्रृंगार रस विलास की रंग झांकियां है निज श्रृंगार की दशा से उछलते गीतों के नृत्य विलासित नव श्रृंगार झंकारों को युगल नयनों में गाते रसिकाचार्य । आओ सखी शरद खेलें । शरद विलास निहारें युगल नयनों का । नाच जाएं निज हिय की गोपिकाओं से प्रिया के विलासित श्रृंगार में भरी प्रियतम सन्मुख अनन्त भावश्रृंगारनामावलियाँ अर्थात् प्रिया के नयनों में नाचता आता जाता प्रियाजू का श्रृंगार विलास । अनन्त गोपिकाओं वत श्रृंगार बिंदुओं के प्रति गोपन रस मधुता को पीकर निहारते प्रियतम जो सुन रहे है रसिक हृदय विलास के वाणी गान में कथित दर्शन की निहारण श्रृंगार वल्लरियों सँग नाचते प्रियतम जैसे कुँज की लता लता से कनकता पीते तमाल प्रियतम की श्रृंगार झरण झांकियों का विलास प्रियतम का प्रिया रास विलास निभृत मधु स्मृतियों के उदघाट्न शब्द का उस स्वरूप में नृत्य करता कुँज विलास है नयन की बूंदों से प्रिया की निभृत ध्वनि सुनकर नृत्यविलासित प्रिया पीते निभृत प्रियतम के नयनों का निज रास विलास है ।
अब बताओ कौन से नयनों का शरद विलास पीती हो । अपने या युगल सुख में भीगे निभृत रास विलास अर्थात नयनो की बातों का श्रृंगारित प्रकट नृत्य धावता दर्शन विलास पीते रसिकाचार्य पढ़ते नाचती पुतलियों के रस श्रृंगार फूल निकुंज का नृत्य रास विलास कुँज का रास विलास है तब तुम कौन सा शरदीय माधुर्य पिने आई हो क्या वह श्रृंगार लाई हो जिसकी नाम ध्वनि प्रिया को नयनों में प्रकट दिख रही है प्रियतम के नयनों से आती गोपिकाएं और वेणु मंजरियों से आती निज-श्रृंगार थाल लाती सखियों की सांध्य विलास उत्सवित सकुचित छिपी कुँजन सटी ध्वनियों को पीती श्रृंगार गूँथती भावफुलनियाँ । प्रियतम का निहारित निकुंज विलास नृत्य जिसके मध्यान्त में निभृत प्रिया के आभूषणों की झनक है । वेणु धुन पर नाचती गोपिकाओं गीत देकर दिखाता झरित प्रिया श्रृंगार आश्रय देकर पिलाता उस मंजरी के नयनों का गोपी गीत । निभृत फूलों की प्रफुल्लमल्लिका के फूल जैसे रानी खिल रही हो लताओं पर अर्थात् कनक फूल दिख रहे हो गोपियों को श्रृंगार रस झरित श्रृंगार वियोग गीत में प्रिया परता में विहारित स्वहित भावुक नयनों के निज भाव गोपी विलास में दिखता प्रियाजू श्रृंगार फूल की मीठी चुभन प्रभा पीती गोपी के भीतर उठा रास विलास शरद की झरण वृन्दा मधुता (सुगन्धपान) है । झरित ताम्बूल जावक आदि श्रृंगारों की झाँकी खिल जाती है । भोगी से भोगी जिह्वा की सुगंध विरहित प्राण को खोजती निभृत प्राण सँग विलासित माधुर्य का हिय गीत से प्रीति आरोपण पाठ भरता भाव शरद गीत रास भागवतीय महोत्सव है गोपी भक्ति का प्रामाणिक महत्वपूर्ण शिखर आरोपित मिलन-वियोग मिश्रित विलास को श्रृंगार रस का रास उत्सव अर्थात् निभृत विलास श्रृंगार-फूल को निज-विलास सँग निहारती गोपी को पुष्ट करता विलास पान आतुरी । सो कौन के नयन को सुख या युगल नयन विलास को प्रकट नृत्य केलि विलास रास नृत्य झरण गीत की रसिकाचार्य ध्वनित रास की जयजय सँग । शरदीय महोत्सव में कौन भावना सँग हो सखी आप पधारी , शरद के युगल सुख भरित नयन मधुता की वांछा के श्रृंगार को श्रवणों से रंगती लज़्जाएँ छिपी कुँज के तरु छोरों से छिपी श्रृंगार लाती-जाती सखियों का सान्ध्य ध्वनि गान का नृत्य विलास दर्शन या फिर छिपती विलसित सहचरियों के हिय में निकुंजेश्वरी की खोज का वियोग गीत सँग प्रवेश दर्शन सूत्र । कौन भावना कौन विलास की कौन सी निकुंज की छिपी शरद छटा की खोज भरी ; निज भाव खोजती विलास मधुता की रसिलियों । तृषित ।
रसिक वाणियों की शरदीय मिठास जीव के बोध से बहुत आगे की गहन अपनत्व से निहारती युगल विलासित हुलस-विलस की शीतल ब्यार है। युगल नृत्य विलास
विलास रस में नित्य हिलोरित -झकोरित झंकृत श्रीयुगल श्यामाश्याम सहित श्रीसखीजन सहित झूमता नृत्य रूपी उछलता रसायन रास है । श्रीयुगल में नित्य भावसुधा लहरों के झकोरें शरदीय स्पर्श पाकर मुद्रावत झलक-छनक रहे है । यहीं झलकन सहज नव नृत्य मुद्राविलास है । श्रीप्रियाप्रियतम में भरी यह मुद्रा विलास की सुरभित सुगन्ध जहाँ जिस हृदय से स्पर्शित होती है वहाँ ही उठ रहा होता हिलोरा-झकोरा नृत्यविलास है । नृत्य का अर्थ है सरस रस के समूहों का उच्छ्लन । जिस लता-वल्लरी में सरसता होती है वही झूम पाती है । सरस पर सरस होकर यें झंकारें-हिलोरें झूमती शीतल सरस शरदीय मन्द नृत्यमय वायुलहरियों में भी समुद्र तरंगों की भाँति सरस झकोरें उड़ेल रही होती है और सजता है रास-विलास । जिसमें दृश्य है रसों का सामूहिक नृत्य-उच्छ्लन (रस की उछालें) ...
ऐसा विलास नृत्य जो थके अलसावे नहीं । विमल कुँजों में विमलता से सरस सुधा की द्रुमावलियाँ-वल्लरियाँ हुलसती-पुलकती झूम उड़ेल रही हो । युगल तृषित । अनन्त भावरूप की श्रृंगावल्लरियों के हिलोरों से सेवित युगल और सखियन में ज्यों का त्यों सँग प्रकट उन्मादित झाँकी में हिलोरित विलास रास है , जैसे उछलती मधुशाला में उछलती रसमदिरा की झारियों में भरा रसायन ।
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