चुंकि कामना (अरमान) रहित होता कठिन है ... पर कामना ना रहे तो मन की स्थिरता भगवत् अनुराग में स्वत: हो ! पर कामना रहित होना कठिन है ... मन हिलता है और हर बार नई कामना जन्म लेती है ! देखा जाय...
सत्यजीत : साहिब !! तुम फिर आ गये ! जी हुज़ुर ... तुम अज़ीब हो ! यहाँ कायनात ना जाने क्या क्या ले कर मुझतक आती है ! और तुम ... केवल सवाल ... वो भी किसी ओर के ! सवाल भी अपने नहीं तुम्हारे पास ... और ...
[2:12pm, 18/08/2015] सत्यजीत: प्रेम -- नहीं हो सकता ! प्रेम मुक्त होने में जीवन ख़पाया है ! जिससे मुक्त होने की ललक थी ! उस ओर कोई उतनी ललक से नहीं लौट रहा ... मुझे कोई प्रेम नहीं करता ! किसी का यें कथन भ...
मन भजन भक्ति में लग नहीं रहा भटक जाता है ... आम समस्या है ... "छोटी-छोटी चीजों में प्रयोग करें कि मन बीच में न आए। आप एक फूल को देखते हैं--तब आप सिर्फ देखें। मत कहें 'सुंदर', 'असुंदर'। कुछ ...
[9:21pm, 15/08/2015] सत्यजीत "तृषित": कल करुणा पर बात हुई ... आज मैत्री पर ! प्रभु के मन्दिर का दूसरा द्वारा मैत्री है। करूणा है पहला द्वार, मैत्री है दूसरा द्वार। करूणा है बरसात के दिनों में आकाश ...