*अहो मेरी स्वामिनी* अहो! इस श्रीवृन्दावन का कोई स्थल कोटि-2 चन्दन-वनों को पराजित करने वाला है एवं किसी-किसी स्थल ने कोटि-कोटि कस्तूरी की राशियों को भी जीत लिया है तथा कोई स्थान ...
श्री राधा कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् कैसै हैं श्री प्रिया के श्यामसुन्दर ॥।हमारे भी कहा जा सकता था पर हमारे श्यामसुन्दर को तो हम अपने प्रेम रहित भाव रिक्त हृदय ...
🌺श्रीमन्नित्यनिकुंजविहारिणे नमः। श्री स्वामी हरिदासोविजयतेतराम्।।🌺 🌻श्री रसोपासना तिलक🌻 🌼सम्पादक🌼 🌺श्री अलबेलीशरण प्रो• गोविन्द शर्मा जी...
रसमगे श्यामा श्यामसुंदर जु परस्पर निहारते सखियों की निहारन के सुख केंद्र बने एक शीतल निकुंज में विराजित हैं जिसे सखियों ने सुगंधित व ब्यारू पुष्पों से सजाया है।बहुत ही ...
वसुदेव जी ने देवकी संरक्षण के लिये निज सन्तान को कंस को दे देने को कहा क्योंकि जब तक सन्तान प्राप्त न हो उससे सम्बन्ध का पूर्वानुमान कठिन है । देवकी से सम्बन्ध हो चूका है तो ...
निर्मल मन की प्रेरणा को स्वीकार करने पर निर्मलत्व की भावना के अंकुर छू पाते है । वरन लिंग देह के तत्व में समावेश होने पर द्वितीय स्थिति रहती ही नहीँ । यहीँ अंतःकरण शरणागत न...
सहज प्रेम सम्बन्ध में नवीनता है । जैसे नव वधु को सभी बड़े लाड से मिलते है , सभी पारिवारिक जन स्वागत आतुर भी होते है निज निवास पर । जैसे नव शिशु के माता पिता व्यवहारिक कुशल है तो श...
कभी कभी बिन पढ़े हुए भाव भी शेयर हो जाते है । कुछ बात उनमे मुझे निजता से समझ नही आती , और स्वीकार नही होती । जैसे पिछले समय एक लीला झाँकी में दीदी शब्द प्रयुक्त था , जबकि रसिक भावन...