Posts

Showing posts from November, 2017

स्वर शून्य मनोहर की झांकी कभी दर्शन हुई... तृषित

स्वर शून्य मनोहर की झांकी कभी दर्शन हुई  ... हृदय नहीं उनके भीतर है । हृदय नामक वस्तु नहीं जानते वें। प्रिया है ... प्रिया । हृदय तो प्राकृत वाचक । वहाँ उनके भीतर श्रीप्रिया ...प्र...

भावों को कितना कह सकते ... तृषित

भावों को कितना कह सकते ... ??? भावुक अगर चाहें कि अपने आसपास के परिवेश को भी वह भाव सुगन्ध मिलें तो वह कितना भाव कह सकता । इसके लिये आपको कह कर देखना होगा... ।  मनुष्य... स्वभाविक नहीं ह...

मृत्युदान , तृषित

सुनो , तुम मुस्कुराते रहना । ...तुमने जो दिया न वो बहुत कीमती था । ...सोचा भी न था , सच । अब... जीवन तो सजा ही दिया तुमने । तनिक समय मेरे हिय को गंगा तक ले चलो । वहाँ तक न छोड़ोगे ना । ...ना यमुना ...

कृपा का अनुभव क्यों नहीं ??

जानते है आप कृपा क्यों अनुभूत नहीं होती आपको ??? आप के भीतर एक इच्छा होती । इच्छा की सिद्धि की भावना कभी कृपा का विलास अनुभूत नहीं होने देती । कृपा तो मरुस्थल पर होती अमृत वर्षा...

19 नवम्बर 2017 पर मंजू दीदी की काव्य आशीष

जन्म दिवस की बहुत बहुत बधाई सुख समृद्धि स्वास्थ सँजोए श्यामश्यामा में एकाकार हो आध्यात्म की पावन राह पर नित प्रति आगे बढ़ते-बढ़ते जन्मदिन मंगलमय होए। उम्र की लम्बी डगर ...

भजन सार

देखिये , सब स्थितियों का सार भजन है । वह साधना माना जाता अतः भजन (नामरसास्वदन) नही बन पाता । वही साध्य लक्ष्य है जो प्रथम प्राप्त हो गई है । वह गहरा हो । भजन को मार्ग बने यह ही कृप...

रूदन 2 , तृषित

रूदन 2 रूदन की प्रथम मूल्यता यह है ईश्वर रो नहीं पाते , केवल गौरांग अवतार श्री चैतन्य महाप्रभु होकर ही यह गम्भीर रस पान पीते है । युग लगते उन्हें अपनी व्याकुलता को जीने में । उ...

रूदन , तृषित

रूदन जानते है जीव की उत्कर्ष भावना कब प्रकट होती है । ... जब वह तन्हां हो । ... हम सब खो कर भी तन्हां नहीं होना चाहते । और हृदय को चाहिए नित्य गाढ़ अलिंगन । वह मिला भी है हृदय को ...नित्य उ...