*जगत यात्रा* वर्तमान बाह्यजगत में चहूँ ओर भौतिकता तांडव कर रही है । हम सभी पर बहुत पर्ते (आवरण)चढ गई है । सभी आवरणों से मुक्त स्थिति पर अध्यात्म है , और मुक्त स्थिति उपरान्त अपन...
*भजन के समय भाव में जब कोई झलक सी आती तो धक्का सा लगता ह्रदय को और नेत्र खुल जाते, नेत्र न खुले वहां टिके रहे उसके लिए क्या करें?* ...अति प्रगाढ माधुर्यता है वहाँ । होगा ऐसा । भजन ल...
*स्वभाव लालसा* स्वभाव के छू जाने की लालसा रह्वे । प्राकृत जीवन में एक बार जल का गिलास छोडने से लेकर , एक समय आहार छोडने तक समस्त उपक्रम में पराभक्ति प्राप्त हो गई यह अनुभव रहता ...
*सम्बन्ध* अनन्त खग प्रजातियों में कितने पक्षियों का संवाद मैं समझ पाता हूँ । किसी का भी नहीं न । और कौए के परिकर समझते न उसका भी संवाद । क्या कभी किसी द्रुम बेल ने अपनी कोई आंत...