3वर्ष पुरानी वार्ता यह... हे नाथ ! यह शरणागति क्या होती है पता नहीँ । बिल्ली के नन्हें शिशुओं सा आप के लिये आसक्त चित् नहीँ , कि आप ही उठाओं और जहाँ लें जाना है , लें चलो । इतना प्रगा...
स्वार्थ सिद्धि कुछ भी हो वह भक्ति नही होती । भले भगवन प्रकट हो जावें तप या किसी भी साधन से पर प्रकट सकामता हेतु किये गए तो भक्ति नही हुई । भक्ति में भगवान को प्रकट होने के लिये ...
जल जाइये प्रेमाग्नि मे , वह ना आये तो मानना जले नहीं ख्वाब था केवल अब तक । सच में एक क्षण सच्ची पुकार सँग छटपटाते ही वह इतनी तीव्रता से आकर इतनी शीतलता देते है कि महसुस ही नही हो...
लोग समझते है कि मै भक्त चरित नही कहता ___ कुछ भी कहने लगूँ ,एक तृषित सामने आ जाते । मै एक ही प्रेमी को जानता हूँ , हाँ यह जिसे जाने वह यह स्वयं कर लेते । मेरी तो एक ही दुनिया है तृषित प...
मेरे पथ में यही अन्तर है ,कि वह मेरा प्रेम नही है । इनका प्रेम है । सच्ची बात है , हमें ना प्रेम हुआ , ना होगा और जिन्हें है ,उनसे ना छुटेगा । ना छुट सकता । प्रेम प्रकट होता है प्रेमा...
अभाव की शक्ति को समझो सखी । अभाव है कि वह आते नहीं । आते तो रहते नही । हम अभाव के पुंज है । वह महाभाव पर बिराजते है । इस अभाव को जानकर स्वयं को हटा लो । स्वयं से स्वयं को मुक्त कर क...
कृपा-दर्शन जीव का सम्पुर्ण बाह्य तंत्र क्रिया प्रधान है । जैसे भोजन बनाना होगा तब पाया जा सकेगा । जीव के अपने शरीर में और जगत में बहुत से कार्य स्वतः हो रहे है जैसे पलक झपकना , ...