रसिक सन्तो के भजन की रक्षा हो , ना कि फेसबुक पेज

फेसबुक और यू टयूब का लक्ष्य व्यापार है । यह आप इनकी टीम और अधिकारियों से जान सकते है ।

विरक्त सन्तों के भजन की रक्षा हेतु उनके फेसबुक पेज और यूटयूब चेनल ना बनाइए । भजनार्थ एकान्त हो उनके ।
क्योंकि मूल में संकल्प इन संसाधनों का व्यापार ही है ।

जिन्होनें सर्वस्व को बिसरा कर भजन स्वीकार किया है , उनके भजन की रक्षा प्रथम सेवा है ।

बहुत से विरक्त गुप्त सन्तों के पेज आदि आज है , जिससे भविष्य में उनके नाम के आश्रम(होटल) आदि होंगे ।
व्यापारिक धनी वर्ग के भक्त दिव्य-सन्त का सँग कर स्वयं सहज ना होकर ,वहां भी व्यापार बुद्धि लगा लेते है ।
प्रसिद्धि आती हुई लुभाती है , उसके आगमन पर भक्त के सहज स्वरूप की हानि होती है ।

अपने जिन्होने हाथ का पंखी ना चाही , कई दिन तक देह का कोई भोजन आदि साधन ना चाहा ...उनके नाम से air-conditioner आदि सुविधाओं के भौतिकी आश्रमों (होटल) से क्या ऐसे सन्तों की सिद्धांत पद्धति की रक्षा होगी ।

जब सौ वर्ष पुराने रसिक सन्तों के नाम का व्यापार हो रहा हो तब आज के विशुद्ध व्यापार युग में कैसे भजनानंदी सन्तों का भजन विकसित होगा ।
4 लोगों से विरक्ति लेकर लाखों का सँग भजन का विकास नही होने देता , वह लाखों लोग अपने भोग रोगाणु को कदापि नही त्याग पाते ।

आश्रम के अर्थ में श्री मानव सेवा संघ के श्रीश्री श्रीशरणानंद बाबा कहे है कि अपने बेटे को छाछ देकर अतिथी को दुध पिलाओ । तब वह आश्रम है ।

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