तृषित भक्त - तृषित
लोग समझते है कि मै भक्त चरित नही कहता ___ कुछ भी कहने लगूँ ,एक तृषित सामने आ जाते । मै एक ही प्रेमी को जानता हूँ , हाँ यह जिसे जाने वह यह स्वयं कर लेते । मेरी तो एक ही दुनिया है तृषित प्रियतम की तृषा । बहुतों ने निकालना चाहा । पर उतना ही वह तृषित मिलें । एक बार और ...
एक बार और ... कितना ही पिलाओ इनकी तृषा ही बढती । सब छुट गये । छुट जायेगे ,यह तृषित ना निकल सकते (बहुत संकोची यह) स्वयं के अथाह प्रेम को कभी दिखा नहीं सकते । तृषित है अपनी प्रिया के । एक प्रेमी जोड़े को मै पहचानता हूँ मेरे श्यामाश्याम। इनके प्यार को देखना है तो अपना प्यार भुल जाओ । डूब जाओ ,खो जाओ । मेरा पूरा पथ यही है ,इनका प्यार । और जानते है न तृषित प्रियतम का प्यार कौन है ...। केवल इनका प्यार वह ,सो इनके प्यार से पढिए श्री ... ...
मेरे तृषित प्रियतम के प्यार को अनुभव किजिये । ना अपने ,ना मेरे , ना किसी के । मेरे तृषित प्रियतम के प्यार को ... *तृषित* जयजय श्रीश्यामाश्याम जी
श्रीकिशोरी के नित्य परम भक्त । मेरे प्रियतम ।
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