अधिक मास अति नीको आयो।
अधिक मास अति नीको आयो।
जो जो तिथी उत्सव की आवे करो मनोरथ अति मन भायो।
आवै शुदी दौज की जबही प्रिया प्रियतम कू रथ बैठावो।
शुक्ल पक्ष की तीजन पै सखी युगल लाल झूलन पधरावो।
आठम शुदी बदी जब आवै ललि लाल को जन्म मनावो।
नवमी तिथि मास पुरुषोत्तम होरी उत्सव खूब मनावो।
दशमी तिथि कूँ विजय यात्रा ललि लालन गज पै पधरावो।
अधिक मास की ग्यारस को सखी तुमुल ध्वनि हरिनाम करावो।
या मास की पूनो तिथि पै श्री गौरांग बधाई गावो।
पूनो तिथि पै ही महारास को करि मनोरथ मोद बढ़ावो।
मावस अधिक मास की जब हो दीप दान करि युगल रिझावो।
लीला विविध निभृत निकुंज की युगल लाल हित खूब रचावो।
मास पुरुषोत्तम इक इक दिन मे करि उत्सव मन मोद बढ़ावो।
अधिक मास में अधिक साधना करी करी माधौ परम् फल पावो।
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