एक विधान है आप जानते ही होंगे । सभी साधक और भावमय है । सब और का जल समुद्र में आता है और अवशोषित होता है । वर्षा में वह जहाँ से आया वहीँ गिरता है , अगर वह गंगा से तो गंगा में ही जाये...
श्री प्रिया की सहज सलज्ज मुस्कान को देखकर प्रियतम् मोहन का मन प्रेम विमुग्ध और लुब्ध हो गया । उनके रूप लालच को देखकर मूर्तिमान लालच भी ललचा उठा । श्री प्रिया जु का नासा मौक...
अभिन्नता -- भीतर चाह है । चाह तो चाह है , भीतर अगर चाह है , तुम मिलो । तब भी चाह है , और चाह जब तक है उस चाह को भोगने वाला होगा । जिसे मिलने की ख्वाहिश है , वह उस पल होगा , ईश्वर को सच्चा प्र...
हमसब स्व दुःख से ही नहीँ उबर सकते , पर दुःख का चिंतन अलग विषय है । स्व सुख ही प्राप्त नहीँ तो पर और परम् सुख का रस अनुभव ही कैसे हमें हो । पर एक लड़की , बात नहीँ करनी चाहिए , फिर भी , दुः...
भगवान से सर्व भावेन प्रेम हो भगवान में पूर्ण रूपेण आसक्ति हो भगवान के नाम , रूप माधुरी गुण आदि का व्यसन (नशा) हो जाएं । प्रेम - सत् गुण का परिणाम आसक्ति -रजो गुण का अप्राकृत रूपा...
*यह एक रहस्य है जब तक अनुभूत ना हो* --- सम्भव है स्वीकार्य ना हो सखी की त्यागमय वृति मञ्जरी है सेवा मय वृति किंकरी है और प्रेम मय वृति सहचरि है *एक ही सखी तीनो भाव से हो सकती है , यह रह...