प्रेम आसक्ति और व्यसन

भगवान से सर्व भावेन प्रेम हो

भगवान में पूर्ण रूपेण आसक्ति हो

भगवान के नाम , रूप माधुरी गुण आदि का व्यसन (नशा) हो जाएं ।

प्रेम - सत् गुण का परिणाम

आसक्ति -रजो गुण का
अप्राकृत रूपांतरण

व्यसन - तमोगुण का रूपांतरण
---विस्तार भगवत् चाह पर ।।।

सत् है प्रकाश (ज्ञान)

रज है कर्मण्यता (घर्षण) कामना होने पर होती है ।

तम् है स्थिर हो जाना (रुकावट)

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