कथा पॉइंट्स
1 अनुभूति भगवत् कृपा है , प्रसाद है । अभिव्यक्ति रस को पीने का तरीका ।
चूँकि भगवान वहीँ है , नाम वहीँ अतः एक स्वरूप के दर्शन से अनुभूति एक की होने पर भी अभिव्क्तियां भिन्न होती है । और यही भिन्न अभिव्यक्तियां उन्हें रस देती है । अभिव्यक्ति उनके हेतु है । अनुभूति हमारे हेतु है ।
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