बाहरी नहीँ अन्तः करण से जुड़ने की आवश्यकता है , सत्यजीत तृषित
सारा दिन अगर मैं अगर कोई माला या स्तोत्र करुँ । जैसे श्री कृषणम् शरणम् मम् की माला करुँ । और उठ कर वही सब जीवन । तो इतना कह कर भी मैंने चाहा तो नहीँ , कि वें मुझे शरण लें ले । मैंने ...