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Showing posts from April, 2016

बाहरी नहीँ अन्तः करण से जुड़ने की आवश्यकता है , सत्यजीत तृषित

सारा दिन अगर मैं अगर कोई माला या स्तोत्र करुँ । जैसे श्री कृषणम् शरणम् मम् की माला करुँ । और उठ कर वही सब जीवन । तो इतना कह कर भी मैंने चाहा तो नहीँ , कि वें मुझे शरण लें ले । मैंने ...

जिस भी क्रिया विधि से अहंकार सिद्ध हो वह बाधक है , सत्यजीत

जिस भी क्रिया , तथ्य , विचार आदि से अहंकार सिद्ध हो वह बाधक है । बाहर से वह पूण्य , दान , सेवा , त्याग लग सकती है भीतर वह बाधक है । इसका कारण सच्चे ज्ञान की उपेक्षा ।  मूल में मिली हुई ...

तीन मूर्खता कंचन कामिनी प्रतिष्ठा , सत्यजीत

हमारे पास तीन मूर्खता है , कंचन , कामिनी , प्रतिष्ठा । कंचन का सम्बन्ध लोभ से है भगवत् लालसा में यह नहीँ रहता । भगवत् रज से रजो गुण की निवृत्ति होती है , भगवान की रज , धाम की रज स्वर्...

भगवान से मिलन न होने का कारण इच्छा न होना सत्यजीत तृषित

भगवान से मिलन न होने में भी इच्छा न होना ही कारण है । 24 घण्टे जप आदि साधन कर भी भीतर मिलन की अनिवार्य आवश्यकता नहीँ होने से परिणाम में इच्छा अनुरूप होना ही है । भजन व्यर्थ तो जा...

ईच्छा गहरा विषय है , सत्यजीत

इच्छा गहरा विषय है , अब इस इच्छा शक्ति पर बात नहीँ होती , इच्छा ही वर्तमान का कारण है , और वर्तमान इच्छा भविष्य की होगी । हमारी इच्छा हमें कर्म बन्धन में बांधती है , भगवत् ईच्छा ह...

सत्यजीत भाव 2

साधन भक्ति के प्रभाव से मनुष्य क्या नहीं कर सकता, अर्थात् सब कुछ कर सकता है। विशुद्ध भक्ति और भगवच्चरणारविन्द में उत्कट प्रेम होने पर मनुष्य में दैवी ऐश्वर्य प्रकट होने ल...

सत्यजीत भाव

यह असम्भव है कि अन्‍त:करण का बोध भी हो जाय और वह राग-द्वेषादि सबको लिए सक्रिय भी रहे।

भगवान से बड़ा कौन ????

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 कभी उनसे (जै जै)मिलना हो , तो संग किसी को लें जाइयेगा । और मिल कर पूछियेगा , आप बड़े या मैं ? उनका उत्तर होगा - तुम । यानि आप । किसी अन्य को लें जाने से यह उस अन्य के लिये ...

प्रियप्रियतम की बात , 19 - 04- 2016

श्री जु नित् उन्ही का स्पर्श चाहती और जानती है फिर भी जब भी वह छूते है , वह अति नव प्रथम ही स्पर्श सा पूर्ण रोमांच देता है उन्हें वरन् उन्हें देख पाना भी सहज नहीँ वह खड़ी हो तब भी ...

भाव 11-4-2016 के

[4/11, 00:41] सत्यजीत तृषित: ग़र रोक सको तो रोक लेना बदरिया तेरे सीने में फ़क़त तू रुक भी जाता ग़र कुछ जोर तेरा भी हो , तेरा होना ही तो है बह बह कर जीने में [4/11, 00:46] सत्यजीत तृषित: होती है रातो रात एक कल...