भाव 11-4-2016 के

[4/11, 00:41] सत्यजीत तृषित: ग़र रोक सको तो रोक लेना बदरिया तेरे सीने में
फ़क़त तू रुक भी जाता ग़र कुछ जोर तेरा भी हो , तेरा होना ही तो है बह बह कर जीने में
[4/11, 00:46] सत्यजीत तृषित: होती है रातो रात एक कली किसी की आबरू और आरजू ऐ तसव्वुर
ठीक वैसे होना होगा तृषित प्रियतम की उल्फ़त औ रहमतें शिकायत थिरकती सरगम
[4/11, 00:50] सत्यजीत तृषित: लफ्ज वह है मुझे कलम होना है
गीत वह है मुझे सरगम होना है
थिरकतें वह है मुझे पायल होना है
हर रिवायत से चाहत वह है मुझे घायल होना है
और तो क्या घायल भी वह है मुझे दवा होना है
फिर दवा भी वह है मुझे दर्द होना है
ग़र दर्द जो मैं हूँ तो फिर उनका नहीँ होना है

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