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Showing posts from July, 2019

भजन उच्चाटन का निदान - तृषित

किन्हीं ने निवेदन किया कि भावभजन से जो उच्चाटन रहता है वह कैसे छुटे ? अपना कपट कैसे गले ?? भजन से विचलित स्थिति होने पर  क्या किया जावें । मानिये प्रकट अहेतु कृपा से किन्हीं को ...

ज्ञानाध्यास । तृषित

* ज्ञानाध्यास * श्रीधाम की करुण शीतलता से साधक में भजनसिद्धि का भी अहंकार नही होता है क्योंकि श्रीधाम से बाहर वह भजन स्थिति सुलभ नही रहती सो भजन श्रीधाम कृपावत् मान्य होने ...

विहार - तृषित

*विहार* श्रीयुगल-विहार ...युगल के सुख की गाढ़ता रूप सघनता रहती यहाँ । सभी भाव और स्थितियाँ नित्य है । श्रीयुगल हिय निभृत रस में नित्य रह्वे । श्रीयुगल में परस्पर हियात्मक मिलन ...

स्व धर्म की निजता । तृषित

स्व धर्म की निजता धर्म बाह्य रूप से सामूहिक अभिव्यक्ति प्रतीत होता है । और समूह की सामूहिक भावना को ही धर्म स्वीकार किया जाता रहा है । बाह्य रूप से एक लगने पर भी वास्तविक धर...

तृषित भाव बिन्दु

1 वैष्णव वह है जो श्रीहरि की सरसता का उपासक हो । जिसमें उनके सेवात्मक सँग से सरसता स्फुरित हुई हो । श्रीहरि का सेवात्मक अनुगमन ही जिसका प्राण तत्व हो वह वैष्णव है । अर्थात् स...