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Showing posts from April, 2017

भाव और रस

रस की उपलब्धि में भाव आवश्यकता इस ‘रस’ की उपलब्धि ‘भाव’ के बिना नहीं होती। ‘भावुक’ हुए बिना ‘रसिक’ नहीं हुआ जाता। ‘भावग्राह्य’ या भावसाध्य रस का प्रकाशन - आस्वादन भाव के ब...

केवल भगवत चर्चा हो मुझसे , तृषित

क्षमा विनय कुछ ... सब सहयोग करे तो व्हाट्स एप हटाना न होगा ,अभी आवश्यक भी कुछ । वरन , अतः कुछ विनय । पूर्व में ही क्षमा कीजियेगा । जो भी व्यक्तिगत बात करते ,भगवत चर्चा ही करें । अथवा...

नित बरसत रस धार , तृषित

बड़ी कृपा से किसी भावुक की भावुकता पक कर उसे नित्य सत्य रस झारियों में ले जाती है । भावुक को भावुकता को सहजना चाहिये । पात्र में थिरता आवश्यक है जब ही कृपा वर्षा से वह लबालब हो...

श्याम न निरखि , तृषित । फूल भाव

कौन घनश्याम ?? मैं ना देखी ... मोरी अँखियाँ मोरे प्राणन मोरे अधरन मोरे सब आभरण मधु गिरावत फूलन कुञ्ज में बिखरी ... फूलन कुञ्ज डूबी , मधु पीवत ... हाय कबहुँ नैनन श्याम न निरखि ... मोहे दि...

प्रियालाल की प्रीत आसक्ति , तृषित

अलबेली  सुकुंवारी  नैननिं  के  आगे  रहै , तब  लगि  प्रीतम  के  प्रान  रहैं  तन  में । । यहै  जिय  जानि  प्यारी  रंचकौ  न होति  न्यारी , तिनहीं  के  प्रेम-रंग  रँगि  रही  मन  मे...

हमारौ बृन्दावन उर और , तृषित

वह दिव्य स्वरूप जो माया - काल में गहन डूबे हम भौतिकी जीव के लिये नहीँ खुलता ... हमारौ बृन्दावन उर और । माया काल तहाँ नहिं ब्यापै , जहाँ रसिक - सिरमौर । छुटि जात सत - असत बासना , मन की दौ...

जीवन , तृषित

जीवन ... ईश्वर का यह उपहार आज हमारे द्वारा दुविधा हो गया है । किसी से भी पूछिये क्या जीवन जीया । उत्तर में हाँ भी हो तो अवश्य अंतःकरण कहेगा ना । जीवन का उदय ही नही हो पा रहा , सम्पूर...

सतरंज खेलत स्यामास्याम । तृषित

सतरंज खेलत स्यामास्याम । दृगन बोलत तुम ही जीतो घनश्याम । हारूँ तुम पे नित नव प्राण पावे मोहे मेरो अभिराम । रस तो सजनी नैनन पियूँ , अबके तोसे मैं ना जीतूं । हे प्यारे ऐसे न छेड़...

लीला रस वार्ता , तृषित । श्री प्रिया सन्दर्भ

सत्य भाव गहन होता । गहन अति गहन । यही निभृत भाव तो रस । यह ऐसा की जैसे हंस का जोड़ा अपने भाव केलि में डूबा । पर वहाँ जो हँस नही उनकी भाव भंगिमाओं को समझ न सकें । प्रियालाल सदैव निभ...

अचाह की प्राप्ति , तृषित

अचाह की प्राप्ति ... हम भगवत पथिक पथ के परिणाम में किन्ही दिव्यतम सुख लालसा में डूबे रहना चाहते है , परन्तु भोग छूट नहीँ पाते । पथिक का हृदय बहुत से संकल्पों में है , चाह है ... तो पथ ...

शब्दातीत लीला स्पर्श ..... तृषित लीला सूत्र

*शब्दातीत लीला स्पर्श* नित्य लीला अधिकतम शब्द शुन्य । संगीत रहता पर अप्राकृत वह संगीत , यहाँ नहीं वैसा गहन । शब्दातीत होता प्रेम । उनका तो अति गहन । वह शब्द भी प्राकृत नहीं हो...