रस भाव चिन्तन क्यों करें ...
रस भाव चिन्तन क्यों करें ... ???
रसचिन्तन ही रसपान के क्षण *रससेवा* की योग्यता विकसित करता है , रस भोग नही होता- तृषित
मुझे इससे बड़ी कोई पीड़ा नही कि हम स्वयं को अनाधिकारी जानते , सेवा हेतु - तृषित
अधिकार अनाधिकार भोगी जानते । प्रेमी अपने प्रियतम के सुख की सेवा करते है सहजता से ।
संसार शराब की बोतल पर गीत गा सकता है और जो सच में सुंदर उसे सुन भी नही सकता , आश्चर्य ...
हम जो भी सकाम भाव से करते क्या वह हमारा अधिकार । निष्काम प्रेम युगल तत्व ... सहज । ...
कोई भोगों में डूबता तब वह क्यों नही कहता मुझे अधिकार नही विकारों में डूबने का ...
संसार हर पदार्थ को भोग से देखता , हर पदार्थ प्रेम से देखता तो सेवक होता ...
मुझसे किसी ने नहीँ पूछा काम-क्रोध-मद आदि का क्या मैं अधिकारी ...
आपमें एक सुगन्ध है प्रेम की वह जागृत नही, ... पर जगेगी,जहां से वो आई उनकी सेवा में होते ही ...
रस के सेवी हो आप भोगी नही , पर मन को भोग की आदत , एक समय वो सेवी होगा ... डूब जाइये ...
हमारी एक बड़ी भूल, कृष्ण पूर्णतम प्रेमी , काम वो नही जानते काम-बीज उनका पर मात्र प्रेमी ।
आम देखा आपने , सारा संसार उसे खा सकता है , सिवाय उसके भीतर के बीज के ...
आम के बीज में आम का वृक्ष,बीज फल में होकर कभी फल को चखता नहीँ,फल गुठली का स्वाद भिन्न है ।
बीज में परिणाम पर बीज तत्व निर्भोगी है ...
माँ कभी शिशु का भोग नहीँ कर सकती , कैसे कृष्ण भोगी लगते फिर ... कृष्ण का वात्सल्य सौ करोड माँ के प्रेम से गहन ।
हम कामी इसलिय निर्मल कृष्ण चिन्तन से दूर , परन्तु उनकी दृष्टि से हम केवल प्रेमी ।
हम कामी ,यह वह नही जानते,आपको लगता कामी हूँ तो उनके लिये उनकी सेवा कीजिये , प्रेम ! भोगिये मत उन्हें । नाचिये उन्हें सुख हो इसलिये ... ऐसा नाच उठ नही पाता भोग देह में । मुस्कुराई उन्हें सुख होगा । हम खुद के लिये भी नही मुस्कुरा पाते न ...
यकीन मानिये वो हमें प्रेमी मानते,माँ के सन्मुख हत्यारे शिशु से भी माँ घृणा नही करती.. कह भी दे तो अपने सूक्ष्म प्रेम का त्याग नहीँ करती । मैंने ऐसी माँ भी देखी जो मृत पुत्र की तस्वीर न देखें , पर अंदर प्रेम भरा ... तो श्री कृष्ण के प्रेम पर कैसा सन्देह ...
पापी की समस्या विशुद्ध , वो ईश्वर को पवित्र जानता ,स्वयं को अपवित्र ...
पुण्यात्मा बेचारा ईश्वर को अशुद्ध और स्वयं को विशुद्ध जानता ... सो कहता , चुप ।।। शिव के प्रसाद से इसलिय लोग दूर नहीँ होते कि शिवत्व को छूने का अधिकार नही ,अपितु इसलिये वह स्वयं को शिव से विशुद्ध मानने लगते ।
प्रियालाल को प्रेम आता, प्रेम वह जो कभी भोग न हुआ.. प्रेम और भोग में कीचड़ कमल का भेद ...
युगल तत्व वह कमल नही जो कीचड़ में खिला , वह प्राकृत कमल है । हमारे प्रेम की सीमा क्योंकि हम मलिन चित्त ।
युगल तत्व उपमा रहित पर नवनीत सिंधु के कमल रूप समझे जाते । माखन के समुद्र में कमल ... यह उपमा भी सत्य में विशुद्ध उन्हें कहती नही पूरा सा । आभास मात्र । समुद्र भर माखन कभी धरा पर सम्भव नहीँ ... वह इससे विकसित कमल से भी सुंदर ।
हमने युगल तृषित यु ट्यूब चैनल पर एक भाव दिया जिसमें प्रियतम प्रिया चरण भी नही देख पा रहे ... भीतर काम से हमने खुद को उस निर्मल रस वंचित किया ... वंचित करने से कैसे काम विकार जाएगा ... मन का निरोध कृष्ण लीला चिन्तन में है ।
रस ... रस है तो रस प्रकट के समय रस ही है वहाँ द्वितीय तत्व नहीँ ,सुनते समय भी वहीँ,जड़ का प्रवेश नहीँ ।।। अतः इससे सहज स्वयं को खोने का साधन नहीँ ... क्योंकि यह रसास्वादन है ... अंदर जा कर असर करता है ।
ईश्वर की भोग इच्छा का ही नाम प्रलय है । बीज अपना फल खा जाएं...
अब भी किसी को लगें तो कहियेगा क्यों आपको अधिकार नहीँ रस चिन्तन का ...
यह तो वह जो सह लेते ,वरना यहाँ का दास मालिक को कहे आपके भोजन बनाने का अधिकारी नहीँ तो ... चाय बनाने का अधिकार नही तो । सेवा में क्या अधिकार की बात ।
समस्या यह की हम भोग खोजते ... सेवा कभी नही, पढ़ाने को कोई नही पढ़ाता,धनार्थ... ।।
लोग केवल दर्शन चाहते । सेल्फी विथ सेलिब्रिटी । प्रेम मयी सेवा नही ।आप अमिताभ जी के घर के बाहर रोज रात दिन पोछा कीजिये । कौन मना करेगा । मिलने वाला तो प्रसिद्धि का पुजारी , दीवाना तो कुछ भी सेवा करेगा । उदाहरण संसार का । क्योंकि ऐसे कोई बात समझ नही आती न ।
रहस्य शब्द एकाग्रता के लिये । प्रेम भेद शुन्य । बस एकाग्रता के लिये रहस्य वहाँ ...
मैं कहूँ सिक्रेट कोई न सुने पढ़े तो सब पढेंगे , चुपके से । जैसे गोसाईं ही बिहारी जु का चित्र बाहर करते ... रहस्य आकर्षण बनाता ,और रहस्य प्राप्ति में सूक्ष्म अहंकार पुष्ट होता है । कभी जब कोई बात सबको कहनी होगी हम भी उसे सीक्रेट कहेंगे । ताला लगते ही लगता है , कुछ छिपा ।
व्यापारी लोग इस नीति को जान सब्जी के थेली में लाखों रूपये ले जाते सन्देह ताले अर्थात रहस्य से होता । पासवर्ड ... लगा दीजिये फोन पर सब पर आप सन्देह करेगे ...
अब आप युगल तृषित यु ट्यूब पर सब सुनिये । क्यों ? क्योंकि उन्होंने मेरे विपरीत यह किया ,इसमें अवश्य कोई उनकी प्रेम मय भावना । मुझे इससे स्वयं ही बड़ी पीड़ा , मेरा इंफ्रास्टक्चर ही बदल दिया ।
बरसों में हमारी कोई छवि बनती है ,अचानक आप उसके विपरीत हो जावे तो आस पास के लोग हैरान हो जाते है । ठीक वैसा । मैं पूर्णतः नास्तिक रहा हूँ ,अब भी कही कही मुझे नास्तिक ही माना जाता , जहाँ केवल देह खड़ी । तृषित ।
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