रस से टपकता रस सदा , तृषित
रस से टपकता रस सदा
चेतना तू नित रस की बिंदु
काहे गावे अलाप नित
विष हूँ , विषैली हूँ , विषाक्त हूँ
है तू विष ...
रस सिंधु यह न समझ सकेगा
क्योंकि
रस से टपकता रस सदा
सुन ...
रस की नित टपकन ...
रस तृषित चेतना
रस से टपकता रस सदा
चेतना तू नित रस की बिंदु
काहे गावे अलाप नित
विष हूँ , विषैली हूँ , विषाक्त हूँ
है तू विष ...
रस सिंधु यह न समझ सकेगा
क्योंकि
रस से टपकता रस सदा
सुन ...
रस की नित टपकन ...
रस तृषित चेतना
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