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Showing posts from 2019

25 - 12 कर्णामृत बिन्दु , तृषित

*श्रीकृष्ण माधुरी को कर्णामृतवत पीना महाभाव स्वरूपा श्रीप्रिया जू की श्रृंगार माधुरी की सेवा में होना है* *श्रीश्यामसुन्दर स्वयं ही माधुर्य की अनवरत सेवाओं से भरे मधुर ...

नागर नयन

नागर नेह निहारत नैननि। आतुर ह्वै न चलै चकि चौंप सौं चातुर  चाहिए रहे चित चैननि। मौनही मौन में मान मनाइ मिलाइ लिये मन सौं मन मैननि।। श्रीबिहारिनिदासि विलोकि वधू वन वृंद विनोद बढ़ै बिनु बैननि। नित नवीन निकुंज में नागरि नागर नेह निहारत नैननि।। अँखियाँ नहीं देति अलिंगन सौं। सारु में चारु निहारि बिहारिनि मर्दत मान मदन की मौं। और कहाँ लौं कहौं न कही परै कोक कला कल केलि की खौं।। श्रीबिहारिनिदासि दुलारी कौ दूलहु ताकि रह्यौ तरुनी तन तौं। यह काम कला पुनि मेंटि अली अँखियाँ नहीं देति अलिंगन सौं।। सुन्दर नैन सुहावने,निरखत प्रेम प्रवीन। अवलोकत इकटक रहैं,वदन सुधा रस लीन।। तन में तन नैननि में नैना।मन में मन बैननि में बैना।। ऐसै रहौ रसिक वर चैना।श्री ललितकिसोरी के उर ऐना।। उपजत कोटिक मैननि सैना।छिन छिन आनन्द अति ही लैना।। लड़ैती तेरे नैना री अति फूले। प्रगट करत हिय के अनुरागहि रंग हिंडोरे झूले।। निरखि लाल आनन्द बढ़ायौ भाग्य हमारे खूले। श्री हरिदासी के रस पोषे सदा केलि अनुकूले।। खेलत लाड़िली रस मत्त सु घूमत नैना। दुहूँ ओर अनुराग बढ़्यौ है चैन न पावत मैना।। मिलि मिलि मिलि मुसिक्यात छबीले कहत रंगीले बै...

सहज प्रेम का सहज श्रृंगार , तृषित

प्रेम का श्रृंगार सहज है प्रेम सहज छूने हेतु सहजता के सिंधु में पूर्ण मीनवत सुख होना होगा फिर यही प्रेम जीवन से निज रस-भोग- श्रृंगार निकाल सकेगा प्रेम में निज प्रेमास्पद क...

प्राणसेवा-प्रवाह , तृषित

प्रेमास्पद ही अगर कर्ता-भर्ता है , तो भावना प्रकट होने से पहले ही उनकी है । शरणागत शरण में है , वह उनके जीवन रूपी बाग का सेवक है और प्रति फूल बाग का खिलने से पूर्व प्रेमास्पद का ...

रस व्यसन , तृषित

व्यसन होने हेतु , मदिरापान आदत हो जावें । बारम्बार पीने पर जीवन खिलता है । शब्द के बाह्य व्यवहार पर मत जाइए उसके स्वभाव को पहचानिए सुरा या मदिरा तो अमृत और सोम रस का भी पर्याय है जो मदिरा बाजार में बिक सकती हो , वह तो प्राणों का आंदोलन हो ही नहीं नहीं सकती । असली मदिरा है ... प्रीति और प्रीति का नवीन होता उत्स , हाँ मधुर-मधुर श्रृंगार प्राण प्रियतम के श्रृंगार की अखण्ड और वर्द्धित लालसा ही जब पोषण हो उठे तब मिली है किसी को वह मदिरा , जो है ख़ालिस मदिरा  । असली या शुद्ध किसे प्रिय नहीं , तो जीवन को रस लालसा में भीगोकर और नित्य ही भीग-भीग कर पीजिये और मदिरा ।  रस-मदिरा सँग प्रथम मिलन से भयभीत नित्य सँग नही हो पाता सो प्रथम स्फूर्ति नित्य बढ़ती हुई प्रकट रहवै इस हेतु पान हो श्रवण रूप । व्यसन होने पर जो व्यसन भरा जीवन मिलेगा , वह केवल व्यसनी ही अनुभव करता है । मदिरा ध्वनित होता है रस को आदत वत नित्य रखने पर , (आदत जैसा जल पीने आदि की है ) लौकिक व्यसनी तो मृत्यु देने वाले व्यसनों को जीवन की दवा मानते है , विश्राम जुटा कर व्यसन करते है , कुछ लोक व्यसनी ऐसे भी होते रहे है जो विश्राम...

सौंदर्य-छाया ...तृषित

अपना मल स्वयं शीघ्र मिटता है । जैसे अपना स्नान और श्रृंगार स्व से सुंदर होता है क्योंकि अपने नयन अपने में अभाव नहीं देख सकते । सो प्रभाव आश्रय से प्रभाव ही प्रतिबिम्बित हो त...

उत्स । तृषित

एक निकुँज में सखिजन को सेवा उन्मादित उत्स ही उत्सव है । उत्स बढ़े , उत्साह बढे । हृदय उत्सवित श्रृंगारित रहवै आनन्द का समूह , अनन्त रसों के आनन्द की उछालें ...उत्सव है केवल आनन्...

भक्ति की लेन देन , तृषित

जीव के पास उन्हें (श्रीहरि) देने को भक्ति है । यह श्रीहरि का निज आह्लाद है , परन्तु जिस भाँति गौ अपने भीतर के दूध का स्वाद लेना चाहती हो तो उसे दोहित कर निवेदन किया जा सकता है । व...

चाटुकारी और महिमागान , तृषित

चाटुकारी और महिमामृत गान में भेद यह है कि चाटुकार में पृथक सत्ता और वंदना के प्रतिफल की इच्छा है । सहज गुणानुवाद प्रतिकूल स्थिति में भी प्रकट होता है । पुरस्कार हेतु गुण-रू...

सेवा वल्लरी , तृषित

निकुँज की सेवा वल्लरियाँ भाव सेवा वल्लरियाँ है । सहज में सहज सेवाएँ अति सहज है वह वें नही है जो प्राकृत जीव जानता है , वह वें है जो प्रेमी माँगता है । प्रेम जहाँ है परिपूरित है ,...

रस झँकृतियाँ , तृषित

यह रसझँकृति माधुरी मुद्राएं जब सन्मुख होती है नृत्यविलासित होती है , नृत्य प्रकट होता है रोम - रोम से ...क्षण-क्षण में । नाच जाती है रसना छू कर झुनझुनाहटें । बातें करती नहीं , गात...

भजन का मर्म , तृषित

भजन का मर्म *श्री प्रभु के नाम , स्वरूप , गुण , स्वभाव , लीला , रुचि , हर्ष और आह्लाद से अभिन्नत्व की प्राप्ति भजन है ।*  हम सभी प्राकृत प्राणियों की स्वभाविक बाह्य स्मृति है दृश्य प...