भाव कैसे बने - तृषित
भाव कैसे बने ???
अपने को श्रीजी की दासी - भावना - सेवा - श्रृंगार - सखी - किंकरी सहचरी मानकर वही हो जाने के लियें प्रति क्षण उस स्थिति का चिन्तन करते हुये श्रीनाम और रसिक वाणी को भीतर भरें ।
प्रारम्भ में अपना और श्रीयुगल की छाया (आभास) भर अनुभव करें ।
जो कि रसिक वाणी या नाम कृपा से उभरे ।
कोई भी एक पद अपना जीवन ही मान लें
तृषित
Shree haridas .app ras unmatt sehchari swaroop ke charno me naman.apse nivedan hai ki kripya kar is vishya me thoda aur sanshipt mei baat karein .apki anant kripa hogi .
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