Posts

Showing posts from March, 2019

भावहानि , तृषित

*भावहानि* जो भावुक को श्रीप्रियाप्रियतम का ना मान पाते हो उनके सँग से भाव हानि रहती है । जिन्हें पता न हो इस  सम्बन्ध का उनसे फिर भी कम होती है परन्तु जिन्हें थोडा पता हो और वह ...

सटरडे सन्डे और वृन्दावन । तृषित

सटरडे सन्डे और वृन्दावन छः दिन की माथा पच्ची । छः दिन व्यसन की तरह भोग जगत । और और और तरीके छः दिन , काश हर माह नई कार ही होती । फ्राइडे थक कर चूर , संसार को खाने चले संसार ही दिलो दि...

इच्छा का विलास - तृषित

*इच्छा का विलास* किसी बाग को अगर ईमारत या कारखाना बना दिया जावें तो फूलों की सुगन्ध नही आती है । हो सकता है । इमारतों कारखानों में तस्वीर लगी हो फूलों की या उपवनों की । परंतु तब...

भारतीयता तृषित

*भारतीयता* वन्दे भारती । हमारी चेतना के तंतु-तंतु भारतीयता के ऋण से मुक्त नही हो सकते है । अखिल विश्व ही क्या ...स्वयं मह-जन-तप सत्यलोक (वैकुण्ठ) भी स्वागत करता है हमारा तो कारण ह...

अंतरँगता तृषित

*अंतरँगता* बौद्धिक संसृति से आगे ... सत्य नित्य गम्भीर है और असत्य गंभीरता का नित्य स्वांग नहीं कर सकता । अपितु सत्य नित्य संकोची भी रहता है । संकोच सत्य का वह स्वरूप है,  जिसे ...