माँगना छूट नहीं सकता , तृषित

माँगना छूट नहीं सकता ।
वास्तविकता माँगिये ...
रानी तेरो चिर जीवै गोपाल
लाडली अविचल तेरो सुहाग
बिना किसी तर्क उनसे उनका सुख माँगिये
क्योंकि माँगने की ऊर्जा छोड़ेगी नहीं अगर वह है तो
रूपांतरण कीजिये ऊर्जा का ---
भगवत सेवा भी बिन माँगे मिलती नहीं ...
बिल्कुल जिसका माँगना छूट गया है वह आरती-सेवा कैसे करेगा ?? --- तृषित ।

माँग

स्याम! मने चाकर राखो जी
गिरधारी लाला! चाकर राखो जी।
चाकर रहसूं बाग लगासूं नित उठ दरसण पासूं।
ब्रिंदाबन की कुंजगलिन में तेरी लीला गासूं।।
चाकरी में दरसण पाऊँ सुमिरण पाऊँ खरची।
भाव भगति जागीरी पाऊँ, तीनूं बाता सरसी।।
मोर मुकुट पीताम्बर सोहै, गल बैजंती माला।
ब्रिंदाबन में धेनु चरावे मोहन मुरलीवाला।।
हरे हरे नित बाग लगाऊँ, बिच बिच राखूं क्यारी।
सांवरिया के दरसण पाऊँ, पहर कुसुम्मी सारी।
जोगी आया जोग करणकूं, तप करणे संन्यासी।
हरी भजनकूं साधू आया ब्रिंदाबन के बासी।।
मीरा के प्रभु गहिर गंभीरा सदा रहो जी धीरा।
आधी रात प्रभु दरसन दीन्हें, प्रेमनदी के तीरा।।
      जय श्री राधे राधे राधे
          जय श्री राधे राधे राधे
               जय श्री राधे राधे राधे
                    जय श्री राधे राधे राधे
                         जय श्री राधे राधे राधे

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