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Showing posts from November, 2016

वो प्रेम समेट नही पाते , तृषित

🙏🙏🙏🙏🙏 नहीं ! उनसे अपना प्रेम समेटा नहीं जाता ! नित्य नव महा मिलन से वें व्याकुल , स्पंदित , तरंगित रहते है ! जैसे - लहरें तरंगित होती है ... किसी बाहरी मिलन को छु कर ! नित्य मिलन ... प्रे...

ज्ञानेंद्रिय का प्रभाव

ज्ञानेन्द्रिय का अर्थ भले ही भोगी जीव को ज्ञात ना हो । परन्तु ईश्वर को ज्ञात है । हम ज्ञानेंद्रिय को भूल से भी सदुपयोग करें तो वह उसे सत्य सिद्ध कर सकती है कारण ज्ञानेन्द्रि...

सत्य भाषण की आवश्यकता क्यों , तृषित

आज के समय झूठ बहुत कहा सुना जाता है । मिथ्या युग है । कोई झूठ बोलता है तो पीड़ा होती है  , अपना कोई हितैषी असत्य का त्याग करें इसके लिये आवश्यक है प्रथम हम असत्य का त्याग करें । अ...

अच्छे साब

*अच्छे साब* उसे डंडे पड रहे थे , आवाज़ 2 बीघा के फ़ार्म में चहू और गूंज रही थी , ना जाने मारने की हद कितनी थी , सैकड़ो डंडे पड गए । अगले दिन पूछा उससे "कल भाई साब ने क्यों मारा आपको ?" कल छोटे ...

सच्चा प्रचार , तृषित

जयजय श्यामाश्याम जी । जयदयाल गोयन्दका जी , गीता के विशेषज्ञ रहे । उनका जीवन गीता रहा , उनके जीवन में गीता बिना कल्पना और स्वप्न दोनों असम्भव रहे । तब विकसित हुई गीताप्रेस । उ...

मिलन कब ??? , तृषित

*मिलन कब ?*😢😢 कब मिलोगे ? कैसे मिलोगे यह सब सवाल है तो इसका सरल सा उत्तर है तुम पिघले नहीँ हो । वरन् कभी वियोग होता कैसे ? कौन हो तुम ? आज प्रेम पथ के सिद्ध जन का देह बोध नहीँ जाता , प्र...