अच्छे साब
*अच्छे साब*
उसे डंडे पड रहे थे , आवाज़ 2 बीघा के फ़ार्म में चहू और गूंज रही थी , ना जाने मारने की हद कितनी थी , सैकड़ो डंडे पड गए ।
अगले दिन पूछा उससे "कल भाई साब ने क्यों मारा आपको ?"
कल छोटे साब आये दीदी संग दरवाजा बन्द ना किया सो ...
बस इसलिये इतने पिटते रहे - गलती की तो मार तो पड़ती ही , वैसे बड़े भाई साब बोहत अच्छे है । फ़ालतू नही मारते , गुस्सा आता तब ही ।
बाद में सुबह आकर गए बड़े साब , दवा देकर गए । प्यार से समझा गए । बहुत अच्छे है साब ।
तीनों नोकर आपस में बात कर रहे थे , बदन लाल लाल निशानों से भरा था उसका ।
भाई साब और उनके एक दोस्त की यह होटल थी , छोटे भाई साब एक विधवा महिला को लेकर आया करते । और परिवार वालों को उसे ही स्वीकारने को कहते , शादी कही और तय थी । उस दिन वह अपनी उस प्रेमिका को लेकर आएं तो यह लड़का दरवाजा बन्द करना भूल गया , थोड़ी देर में छोटे साब के पापा भी आये और बेटे को यूँ देख उसे डांट चले गए । उनके जाते ही यह पिटने लगा , दरवाजा बन्द ना किया इसलिये ।
15 या 16 साल का होगा वह
बड़े शहरों गाँव से आये मजदूरी कर परिवार का पेट पालने वाले मजदूर के नाम की जरूरत नहीँ ।
उसे तो यह शहर ही नाम देते है , माँ बाप का दिया नाम तो गाँव के पोखर संग सुख गया ।
एक होटल , होटल सी कोई बात नहीँ वहाँ , पांच - छः हट (झोपडी) बनी हुई । जहाँ युवा दिन में अपने प्रेम की भड़ास निकाल सकते । और शाम होते ही मालिक और उसके दोस्त नॉनवेज और शराब और वासना की पार्टीज करते । 4 कुत्ते और उनके दो नोकर । और एक कॉमन नोकर वहाँ रहते । उसकी उस दिन की चुप्पी ने मुझे अंदर से हिला डाला , दोनों साब समाज में बड़े अच्छे थे , बड़ी इज़्ज़त , रोज मन्दिर जाना , कथा भजन आदि कराना , बहुत नाम । बड़ी धर्मपरायण धर्म पत्नी स्वर था , आवाज ना सुनी पर । भक्त जानते सब इन्हें , और मेरे राम मुझे अंदर तक लें गए हकीकत दिखाने । अब आज होटल वगेरह बिक गए । दिन फिर गये ।
एक दिन इनका एक वाक्य पीड़ा दिया मन्दिरों में महिलाओं के आने पर , उनके हिसाब से ओरत को बन्द रहना चाहिये । फिर उनके रंग देखे तो पता लगा औरत भोग वस्तु भर थी । सो मन्दिर में उसे पावन रूप देख यह बौखला जाते ।
बूढे माँ बाप बेटे की व्यापार वृद्धि के लिये दिन रात अरदास करते । पर भगवान किस - किस की सुनते , व्यापार की हकीकत वह जानते जो थे । -- तृषित ।
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