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Showing posts from March, 2015

तृषित कौन ?

तृषित ... प्यासा !! यें कोई नाम नहीं | एक अवस्था है | परिचय शरीर का होता है | परिचय में सफलताओं की बात है ... मैं एक प्यासी आत्मा हूँ ... शरीर का क्या नाम दूँ ... पर हर पोस्ट पर सत्यजीत लिखता हू...

हारे का सहारा ...

हारे का सहारा ... राजा रंक हो गया , रंक राजा हो गया | उपमायें होती है | ऐसी विधियों की और ऐसे आदेशों की और सब दौड पडते है . परन्तु वें तो यें भी नहीं जानते | दीनबंधु - दीनानाथ को क्या गरज र...

प्रेम ते प्रगट होही मैं जाना ( नारीत्व )

प्रेम ते प्रगट होहिं मैं जाना भक्त अपनी जिज्ञासा व्यक्त करते हु्ये कहता है कि हे स्वामीजी! आप सदा कहते हैं कि परमात्मा भाव के भूखे होते हैं। ये भाव कौन से हैं? इन भावों को स्व...

प्रेम और साधन

साधन और प्रेम कोई ताला बन्द हो तो हम चाबी से खोलते है | परन्तु एक चाबी से ना खुलें यानी गल्त चाबी लगा दी , जब तक सही चाबी ना लगाये ताला खुल जाता है | प्रेम ही सही मार्ग है , ईश्वर का | औ...