कैसे चाहा जाये ...

आप ही कह दो आप को कैसे चाहा जाये
देखा जाये सुना जाये कि कहा जाये

ज़र्रा-ज़र्रा चुर है आतिशेईश्क़ में
उसकी खुबसुरती में ज़र्रा हुआ जाये
छुने की हर गुस्ताखी पानी हुई
चलो इस बार हवा हुआ जाये

कीमतें लगा सके उनकी
अब उन ईबादतों को भुला जाये
रहम द़िल है वें पिघल जाते है अक़्सर
वो बहे रुहेमकॉ में  कि हम पिघल जायें

बन्दिशें कुछ ख़ास नहीं अब "तृषित"
सांसों को हर लम्हा सौंपा जाये
मर्ज लगा है तो जी ले इस दर्दे-एहसास को
महकती यादों में दवाओं को भुला जाये
- सत्यजीत"तृषित"

Comments

Popular posts from this blog

Ishq ke saat mukaam इश्क के 7 मुक़ाम

श्रित कमला कुच मण्डल ऐ , तृषित

श्री राधा परिचय