भावात्मक कारण !!

वैज्ञानिक कारण - भगवत् महत्व को
ना स्वीकारने हेतु | अथवा धर्म विरोधी हेतु |
आध्यात्मिक कारण - योगी , तपस्वी ,
साधक , ज्ञानी हेतु |
भावात्मक कारण - भक्त हेतु ,
प्यासे तृषित हेतु , विचार करिये
आपकी माँ आपको जन्मते ही डॉ.
को सौंप कहती कारण बताये कि यें
मेरा ही दूध क्यों पी रहा है | ना पीलाने
पर रो क्यों रहा है | रोना कहाँ सिखा |
वो यें विचार नहीं करती बस जानती है कि रो गया यानि भुखा था |
दु:ख होता है उसे कि पहले नहीं पिला
पाई काश रोने से पहले पीला देती |
बचपन में आप के गिरने पर माता -पिता कारण जानने लगते तो आपको
कैसा लगता | कैसे गिरे , क्यों गिरे ,
कैसे-क्यों चोंट लगी |
हमारी चोंट का दर्द बहुतों बार माँ को
हुआ है | ...
विज्ञान सर्वत्र है , हमें जानना चाहिये |
भावों में ईश्वर मिलेंगें | आप स्फटिक
शिवलिंग को यें जान ना छुये कि यें
ऊर्जात्मक है | यें माने भगवान है ,
अवसर मिला है |
पारद हो तो भुल जायें धातु , विचारें
भगवान है मेरे हेतु किस किस धातु में
ढल गये ,
गंगाजल में जब से हम विज्ञान खोज रहे है वो जस्ट मिनरल वाटर रह गया | मानना तो चाहिये माँ हमारे हेतु यहाँ
भी बहने लगी , हरिचरण-शिवजटा
को हमारे हेतु बिसरा रही है | वरन्
कौन हरि चरण से बहना चाहेगा , वहाँ
तो समाना ही चाहेगा |
प्रसाद को माने उन?्होंने मेरे हेतु छोड दिया |
चरणामृत को माने नाथ मेरे हेतु
पग धोते है वरन् इन्हें कहाँ शुद्धि की
आवश्यकता है | चरणामृत मिल जायें
यानि कृपा है नाथ की | चरणामृत
बडी कृपा से वें देते है किन्हीं परम् भक्तों को ... कोई भी अपना चरणजल पीने ना दें | वह तो भावनात्मक मामलों
में सबके ऊपर है जी | अपने ही भाई को पादुका बडा विचार कर दियें |

कोई कह सकता है कि विग्रह रजत
के है सो गुणी है ... विग्रह में जैजै
आये है हमारे हेतु | उन्हें देखो , भुल जाओ ... धातुयिगुण !
होगा उसमें जादू , औषधिय गुण , पर प्रथम गुण तो चरणामृत होना ही है |
उनका है उनसा होगा स्वाभाविक है |
पर वहाँ से आया जहाँ की अभिलाषा है. ... सत्यजीत"तृषित" 9829616230

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