आधी शायरी

[9:44pm, 15/03/2015] Satyajeet Bhawan: महबुब की गलियां ...
आराध्या का शहर
[9:54pm, 15/03/2015] Satyajeet Bhawan: कोई इतनी भी याद ना दिलायें कि सांसे ही सुबकने
लगे !
इन्हें उसका नाम लेना है ...
दिल में मिलकर ...
ही सही यादों में जीना है
[9:57pm, 15/03/2015] Satyajeet Bhawan: हर जगह दिखता है जो
जब उसे कोई चाहता है
तो मर जाने को जी करता है
[10:03pm, 15/03/2015] Satyajeet Bhawan: पुकारा जो पीया को
नैन छलक आये ...
घुंघट सरकाये कि
गिराये कुछ ना समझ आये
[10:10pm, 15/03/2015] Satyajeet Bhawan: ना देखु कि देखा करुं ...
जी लुं कि मर जाया करुं ...
[10:14pm, 15/03/2015] Satyajeet Bhawan: देख लो ... अपने किसी को ममता
किसी और का होने पर मजा ले रही है
हो जाऊं जो उनकी . गवाही दे देना
सब ... ... हम डर कर नहीं ...
खुले आम ईश्क करते हा
[10:16pm, 15/03/2015] Satyajeet Bhawan: एक तो इनका श्रृंगार ...
काश एक बार इन्हें पूरा सजा पाता.
एक दिन बिक जाऊं ...
सजाने को ...
यें कुंदन . यें मोती अहा !! बने ही
इनके लिये है

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