राधी
राधी - यें भी भगवान् का एक नाम है | संसार में अन्य कोई पुरुष अपनी प्रिया में कोई इतना ना रंगा की उनके नाम से जाना जाये | यें स्त्रियों के लिये
सहज है पुरुषों के लिये नहीं ...
सो मैं विचारता हूँ ... स्त्रियाँ कई ऐसे स्वाभाविक गुण रखती है कि नि:स्वार्थ भक्त
हो सकें | स्त्री को प्रेम करना आता है ... अकारण प्रेम !!
स्त्री को सहन करना आता है |
स्त्री को प्रेमवश तपना भी आता है |
ज्वर पीडीत माँ शिशु के अर्धरात्री में कहने पर कुछ भी कर ही लेती है , प्रेम में व्यक्तिगत वेदना होती ही नहीं |
धारण करना आता है - नाम यें ही बडा कष्ट है संसार में | व्यक्ति मर सकता है नाम नहीं छोड सकता ना ही असत्य कह लेगा पर किये पाप को नहीं
कहेगा कि हाँ मैंनें किया है ...
पुण्य अन्य का भी हो तो नाम जोड लेगा , पाप अपना हो तो स्वीकार ना कर सकेगा | स्त्री नाम का भी सहज त्याग करती है | स्त्री अपने घर परिवार का भी मन से त्याग कर लेती है ...
विवाह बाद पति का घर उसका होता है |
एक अपरिचित जो कि जन्म के 25वर्ष बाद मिला उसके साथ रहने को तैयार ही नहीं सुरक्षित भी महसुस करती है |
निश्चल-प्रेम , निरासक्ति , साधना , शक्ति ,
चेष्टा , भाव , त्याग , अनुभुति - स्वाभाविक भक्ति के सभी आयाम सभी गुण परन्तु संसार हेतु | बस दिशा ही बदलनी होती है | कुछ गढना नहीं होता नया कुछ बनाना नहीं होता |
बस घुमाना होता है ...
परन्तु पुरुष भी अपना स्त्रेण कर सके , इन गुणों को धारण कर सकें तो सरलततम् को पाने का सरलतम् उपाय पा जायेगा | भगवान कृष्ण के प्रेम को समझने की चेष्टा करियें |
राधी कहलाने के लिये प्रेमासक्ति के
अतिरिक्त सभी तृष्णाओं से विरक्त होना
उनके लिये सरल है | परन्तु यें सरल होता तो ऐसे और उदाहरण होते |
सरलता से ऐसा कोई नहीं खोजा जा सकता - सत्यजीत"तृषित"
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