प्रेम की राखी , तृषित

*प्रेम की राखी*

निरखि निरखि रूप सलौना...
नैन हारे चित्त चहै रस चखै नित नवीना...

*री रंगीलो सलूनो,रसीलो फूँदनो प्यारो*

सखी...सजाई दी...सजाई दी री...सेज सलोनी ...प्रेम की राखी करन चली सर्व सखी सहेली...सब मिलि रक्षा बंधन सुख दीनि...हर्षि हर्षि पुलकि पुलकि मधुर रस भीनि भीनि...
सखियन ने आज रसश्रृंगार धराह्यौ है लाड़ली लाल जू कौ...

"रक्षा बंधन करति सहेलि।
कोमल कल मखतूल मनोहर फौंदा फबि अलबेली।।"

आज सखी...प्यारी जू अति अलबेली *पीत* रसरंग वस्त्रों में सुनहरी धूप सी सिमटी हैं और प्रियतम श्यामसुंदर *नील* वस्त्रों में...जैसा अद्भुत श्रृंगार सखी...ऐसा अद्भुत सखियन का दुलार री...सबहिं उतावली हुईं कुंज सजाए रही और सुख हिंडोरनो बनाए रही...
आज सखी...जाने क्यों पुष्प कुमुद ना सजै हैं किसी कुंज में ना प्रेम हिंडोरे पर...
प्यारी सुकुमारी वृंदे सुभद्रे सखी आए कै रंग तें रंग जमाए दी...श्यामसुंदर से पूर्व प्यारी भाभी को *लाल* फुँदना कोमल जावक रंजित कर तें पहनाए दी...मुख मिसरी डारि के तनिक मंद मुस्काए दी री...अति सुंदर मधुता की राशि पीले वस्त्रों संग सुंदर नवीन मधुर लग रहा ज्ह लाल फुँदना...
अब बारी श्यामसुंदर की...फुँदना संग सरसों सी रंगी फूली रंगीली *पीली* राखी करकमलन तें सजाइ दी...लाल अधरन की रसभीनी मिसरी अमृत बनी भाई मुख में ढुराइ दी...
सखी...नीलसुंदर नीलवस्त्रधारी श्यामसुंदर जू की कलाई पर सुंदर सुनहरी आभा लिए पीली राखी...खूब जच रही री...ज्ह तो हुई बहन भाभी की प्रेम से सनी रसीली राखी...
पर अभी तो वास्तविक राखी कौ स्वरूप देखो ही ना री चकोर नैनन तें...
सखियन प्यारी...सब मिल अनंत रंगभरे सुंदर सुंदर फूँदनें लै आई...प्यारी भोरी कौ कोमल फूँदनों से सजाए दी...पीले पीले सुअंगों पर प्यारी जू के पीले सुनहरी प्रभा से झरते कोमल रंगबिरंगे फूँदने सुसज्जित जैसे आज कोमलांगी कोमलता की राशि कोमल सुमनों से भी कोमल फूँदनों में रची बसी फूँदनों के हिंडोरे पर विराजित हैं...सगरे सिंगार आज फूँदनों के...शीशफूल से लेकर नागिन सी बल खाती वेणी पर...कंठी से लेकर हाथों की मूंदड़ी तक...कणकटि से लेकर चरणों की बिछिया तक...सब तरफ नन्हे नन्हे फूँदनों पर मधुर एक-एक दो-दो नन्हे घुँघरुओं की रसीली कानों में मिसरी सी घोलती नन्ही झन्कारें ...
सखी...जैसा श्रृंगार प्यारी जू के गौर सुनहरी तन पर ...पीले वस्त्रों पर ...कर में एक लाल फूँदने से सगरे रंगीले फूँदनों से धराया सखियन ने...ऐसा ही रंगीला सिंगार प्यारे जू को धराए दी...नीलवर्ण पर नीले वस्त्र...करकमल में पीली राखी...और समस्त रसदेह पर नन्हे नन्हे फूँदनों का प्यारा सा रस श्रृंगार सुसज्जित हो रहा है...
अति कोमल पियप्यारी जू व प्यारे जू पर अतिहि कोमल रंगीला सिंगार...हास्य विनोद करतीं दुलारी सखियाँ आज प्रियालाल जू कौ प्रेम की राखी की सुखसुरक्षा हेतु अति सुंदर सिंगार धराए दीं...परस्पर रसमुदित श्यामा श्यामसुंदर जू फूँदनों से सजे रसहिंडोरे पर विराजमान प्रतिसिंगार पर हर्षित पुलकित हुए रसबाँवरे से निहार निहार चकित भी हो रहे और मुदित रूपलावण्य की राशि किशोरी जू के रसजाल में फूँदने से फंसे भी जा रहे हमारे सुकुमार मदनमोहन ...
जैसे ही सिंगार पूर्ण हुआ...सखीगण ताम्बूल विटिका का थाल सजा कर ले आईं...जिसमें रसवर्धन हेतु सब सुगंधित इत्र प्रसाद व पेय भरे हैं...कस्तुरी चंदन की महक में लटपटे प्यारी प्यारे जू की निज रस सुवास से घुलेमिले अनंत रसरंग सज चुके हैं रसकुंज में...
सर्व सुखसार सुरक्षक श्यामसुंदर प्यारी जू को निहारते हुए मुग्ध हुए जा रहे हैं और उनकी रूपराशि पर भ्रमर वत् मंडराते उनके रसक्षुधित दो नैन...प्यारी जु की प्यारी सखियों ने लाल लाड़ली जू को रसीले मदभरे सुगंधित पेय का पान करवा कर व ताम्बूली अधरामृत मुख में धरा कर सुंदर फूँदनों से सुसज्जित सेज पर विराजमान कर स्वयं फूँदनों के बंदनवारों व झालरों के झरोखों से लग रसरंग निहारन हेतु आतुर हुईं प्रियालाल जू के लिए मंद मंद आशीष व रस रक्षक सुंदर गान कर रहीं हैं...
भीतर प्रियालाल जु प्यारी न्यारी सखियन की रसवर्धन हेतु की गई अनंत सुंदर साजसज्जा पर विभोर हुए रसरंग में डूब रहे हैं...
आज प्यारी जू प्रियतम की रक्षक बनी उन्हें मदनमुग्ध निरख संभाल रहीं हैं और उनके करों पर सुकोमल रसरंग से सजे धजे सुअंगों को धर धर रसपान करा रहीं हैं...
प्रियालाल सुख की राखी करतीं ये भोरी सुकुमारी रसीली सखियाँ...बलिहार यांकी सेवा तें...और बलिहार अति कोमल सिंगारन तें...जयजय

"रक्षा करत स्याम की स्यामा।
कुच कपोल परसत कर हरषत वरषत उर बर बामा।।"

जयजयश्रीश्यामाश्याम जी !!
श्रीहरिदास श्रीहरिदास श्रीहरिदास !!

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