इष्ट तक हमें इष्ट खेंचते , तृषित
संसार में लोग कहते कि अमुक मेरे इष्ट देव ।
जबकि आपकी प्रकृति अनुरूप इष्ट आपको चुनते है ।
और हर इष्ट अपने मूल तत्व तक की लालसा तक ही उस जीव का संग करते है । जैसे बुद्धि चाहिये , गणेश कृपा करेगे , बुद्धि के समुचित विकास पर आपको आगे प्रेरित कर देंगे , या शरणागति में स्व बुद्धि भी आप निवृत्त कर दें तो गणेश अग्रिम अवस्था देंगे , वह अवस्था तत्क्षण की स्थिति अनुरूप होगी ।
फील इन द् ब्लेंक में वो ही भरेगा ... जिसकी आपमें आवश्यकता ।
प्रेम पिपासु कही भी शुरू करें , एक चिड़िया को भगवान मान लें , वह प्रेम की मूल स्वरूपा किशोरी जी तक स्वतः आएगा , अगर उसकी पिपासा सच्ची है तो ...
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