प्रफुल्ल रमणा

प्रफुल्ल रमणा नित सजत प्यारी रिझावन को
नित दूलहु नव रूप दमकत प्रिया नैन हर्षावन को

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नित सजत बिहारी निरखन बिहारिणी जु ।

निहारत बाट पलकन उतार धर दीनी ज्यों ।

गिरत बिहारी नयना पावत तहां रसीली प्यारी जु ।

डूबत हित दुई रस झारिन प्रकटत श्यामा रँगीली ज्यो ।
नित निरख तृषित चन्द्र झाँकत कबहु चंद्रिका ना दिखत सरस बिहारी जु ।

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