कौन हो तुम , तृषित

कौन हो तुम

यह तो तुम्हे ही अनुभव नहीं

पशु तो नहीं हो
क्योंकि
भेड़ तो बकरी भी नही होती

तुम कोई नही हो ??
या तुम सब हो ...

बन्दर ,भेड़ ,बकरी सब हो

राम-रावण के अभेद शर तुम हो

मधुरतम की निर्विकल्प सुधा पर गिरे अनन्त कामनाओं के काम बाण तुम हो

अपूर्ण यह काव्य

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